एक अमेरिकी मीडिया चैनल से बातचीत में नेतन्याहू ने कहा कि ‘हम संघर्ष विराम प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं। अभी तक इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ, लेकिन हम राष्ट्रपति ट्रंप की टीम के साथ मिलकर इस पर काम कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि हम ये कर सकते हैं।’
इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने एक बयान में कहा है कि इस्राइल गाजा में संघर्ष विराम के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। नेतन्याहू का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात से एक दिन पहले सामने आया है। हालांकि नेतन्याहू ने ये भी कहा कि अभी प्रस्ताव पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है और अभी सिर्फ विचार चल रहा है। प्रस्ताव की विस्तृत जानकारी भी अभी नहीं दी गई है।
ट्रंप टीम के साथ मिलकर शांति समझौते पर हो रही चर्चा
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, गाजा में अब तक संघर्ष में 66 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। इस्राइल के गाजा में हालिया हमलों के बाद नेतन्याहू सरकार पर भी संघर्ष विराम के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव लगातार बढ़ रहा है। रविवार को एक अमेरिकी मीडिया चैनल से बातचीत में नेतन्याहू ने कहा कि ‘हम संघर्ष विराम प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं। अभी तक इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ, लेकिन हम राष्ट्रपति ट्रंप की टीम के साथ मिलकर इस पर काम कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि हम ये कर सकते हैं।’
शांति समझौते में बंधकों की 48 घंटे में रिहाई जैसे प्रावधान शामिल
21 बिंदुओं वाले इस शांति समझौते की जानकारी अरब देशों के अधिकारियों के साथ भी साझा की गई है। इस समझौते में इस्राइल के सभी बंधकों की 48 घंटे के भीतर रिहाई और इस्राइली सेना के गाजा से पूरी तरह से हटने जैसे प्रावधान शामिल हैं। हालांकि इस्राइली पीएम हमास के पूरी तरह से सफाए की बात पर अड़े हैं। हालांकि अब नेतन्याहू ने हमास के सदस्यों को गाजा छोड़कर जाने का प्रस्ताव दिया है। नेतन्याहू ने कहा कि ‘अगर वे लड़ाई रोकते हैं तो सभी बंधकों को रिहा करें और हम उन्हें जाने देंगे।’
इस्राइल पर लगातार बढ़ रहा अंतरराष्ट्रीय दबाव
इस्राइल द्वारा कतर के दोहा में हमास नेताओं के ठिकानों पर किए गए हमले के बाद से इस्राइल पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा है। यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस्राइल के दोहा में हमले पर नाराजगी जाहिर की। उस हमले के बाद से ही संघर्ष विराम समझौते पर बातचीत रुकी हुई थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान कई पश्चिमी देशों ने फलस्तीन को मान्यता दे दी है और यूरोपीय संघ भी इस्राइल का खेल और सांस्कृतिक स्तर पर बायकॉट करने पर विचार कर रहा है। इससे इस्राइल पर भी संघर्ष विराम के लिए भारी दबाव है।