हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम दूसरों की गलतियों को देखकर उनसे सीख लें: आचार्य चाणक्य

अपनी नीतियों के लिए मशहूर आचार्य चाणक्य ने कुशल नेतृत्व के लिए कई रास्ते बताए हैं. विष्णु गुप्त और कौटिल्य के नाम से जाने जाने वाले आचार्य चाणक्य ने जीवन में सफल होने के लिए कई नीतियां बताई हैं. आईए जानते हैं… सफल नेतृत्व के लिए क्या कहते हैं चाणक्य?

> कामयाब लीडर के लिए कहा जाता है कि खुद की गलतियों से सीख लेना चाहिए. हालांकि, चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति गलतियों से सीखता है लेकिन हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम दूसरों की गलतियों को देखकर उनसे सीख लें. यह एक सफल लीडर के लिए बेहद जरूरी होता है. ऐसा करने वाला शख्स बहुत जल्द अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर लेता है.

> आचार्य चाणक्य के मुताबिक एक नेता के लिए बहुत ज्यादा ईमानदारी दिखाना भी जरूरी नहीं. वो कहते हैं कि सीधे खड़े पेड़ों को काटने का काम सबसे पहले होता है. ठीक उसी तरह ज्यादा ईमानदार लोगों को भी सबसे पहले नुकसान उठाना पड़ता है. समाज में मौजूद लोग उनकी शराफत का फायदा उठाते हैं. यही कारण है कि चाणक्य ईमानदारी के साथ-साथ सतर्क रहने की बात कहते हैं.

> अच्छे नेता के लिए चाणक्य के मुताबिक कर्म थ्‍योरी काफी मायने रखती है. चाणक्‍य धार्मिक शास्‍त्रों को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं. वो कहते हैं कि कर्म थ्‍योरी को कभी भी दरकिनार नहीं करना चाहिए.

लोगों के भाग्य उनके कर्मों के आधार पर तय होते हैं. चाणक्य के मुताबिक बुरे काम का रिजल्ट भी बुरा ही होता है. इसलिए शास्‍त्रों के अनुरूप ही काम करना चाहिए. वो कहते हैं अपने साथ के लोगों के साथ आप वैसा ही स्वभाव रखें जैसा खुद के लिए आप पसंद करते हैं.

एक कामयाब नेता के लिए उसकी सफलता उसकी गोपनीयता पर निर्भर करती है. वो कहते हैं कि एक बेहतरीन नेता को अपनी सभी गोपनीय बातें सभी को नहीं बताना चाहिए. जीवन में आगे बढ़ने के लिए बनाई जाने वाली योजनाओं की जानकारी किसी दूसरे से शेयर नहीं करना चाहिए, फिर चाहे बात घर की हो या व्यपार की.

> चाणक्य के मुताबिक अच्छा लीडर वही बनता है जो सीखने में कभी संकोच नहीं करता. वो कहते हैं कि अगर दुश्मन से भी सीखने का मौका मिले तो उसे छोड़ना नहीं चाहिए. निरंतर सीखते रहना ही सफलता ही कुंजी है.

> बेहतर नेता वही होता है जो अपनी अच्छाई को नहीं छोड़ता. चाणक्य के मुताबिक अच्छाई की खूब सराहना होती है. वो कहते हैं कि किसी भी प्रकार की परिस्थिति में अच्छाई का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए. जीवन में कभी ऐसा कारण नहीं बताना चाहिए कि मजबूरी के कारण गलत रास्‍ते का चयन किया. साथ ही गलत रास्तों पर चलने वाले लोगों से भी दूरी बनाना चाहिए.

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