हडकंप : देश में कोरोना के 85.14 फीसदी नए मरीज महाराष्ट्र पंजाब केरल कर्नाटक गुजरात और मध्यप्रदेश में मिल रहे हैं

पिछले एक साल से वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का कहर जारी है। नियंत्रण में आने के बाद एक बार फिर कोरोना संक्रमण बेकाबू हो गया है। देश में लगातार 11वें दिन कोरोना के दैनिक मामलों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई। कई राज्यों में हालत भयावह होने के बाद पाबंदियां बढ़ा दी गईं हैं।

रविवार को इस साल के सर्वाधिक करीब 44 हजार मामले दर्ज किए गए। कोरोना संक्रमण के नए मामलों में एक बार फिर तेजी आई है, लेकिन पिछले साल की तुलना में मौतों की संख्या आधे से भी कम हैं, ऐसे में डरें नहीं, सतर्कता बरतें।

रविवार को दर्ज कुल मामलों में से 30,535 हजार सिर्फ महाराष्ट्र के हैं। यह महाराष्ट्र में अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। अहम बात यह है कि पिछले साल 20 से 24 नवंबर के बीच जब रोज मिलने वाले मरीजों का औसत 44 हजार था, तब रोज औसतन 514 मौतें हुई थीं। अब फिर से 44 हजार मरीज मिलने लगे हैं, लेकिन रोजाना मौतों का औसत 180 है। यानी पहले के मुकाबले आधे से भी कम मौतें हो रही हैं। देश में पिछले 30 दिन में ही रोज मिलने वाले मरीजों की संख्या 14 हजार से 44 हजार पहुंच गई है, यानी तीन गुना से भी ज्यादा बढ़ोतरी। रोज होने वाली मौतें 101 से 197 पहुंची है, यानी दोगुने से भी कम बढ़ोतरी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश के 85.14 फीसदी नए मरीज सिर्फ छह राज्याें महाराष्ट्र, पंजाब, केरल, कर्नाटक, गुजरात और मध्यप्रदेश में मिल रहे हैं। देश के कुछ शहर कोरोना की दूसरी लहर की ओर बढ़ रहे हैं। इनमें मुंबई, पुणे और नागपुर प्रमुख हैं। देश में कुल संक्रमितों की संख्या 1.15 करोड़ से ज्यादा हाे गई है। सक्रिय मरीजों की संख्या तीन लाख पार हो चुकी है।

डेनमार्क में विस्तृत स्तर पर किए गए एक अध्ययन में कहा गया कि काेराेना से दाेबारा संक्रमण का खतरा बेहद कम है। अध्ययन के मुताबिक, काेविड-19 से स्वस्थ हाेने वाले ज्यादातर मरीज कम से कम छह महीने के लिए दाेबारा संक्रमण से सुरक्षित हाे जाते हैं।

लैंसेट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, 65 साल से कम आयु वाले लाेगाें में दाेबारा संक्रमण का खतरा 80 फीसदी तक कम है। वैज्ञानिकाें का कहना है कि दाेबारा संक्रमण होने पर हाे सकता है कि लक्षण ही न दिखे क्याेंकि इम्यून सिस्टम वायरस काे तेजी से निष्क्रिय कर देता है। ऐसे में संभव है कि पहली बार लक्षणाें के साथ संक्रमित हुए लोग दाेबारा जब संक्रमित हुए, तो उनमें कोई लक्षण नहीं रहे हों। लेकिन एक बात स्पष्ट हो चुकी है कि जो लोग दोबारा संक्रमित हुए हैं, उनमें से ज्यादातर को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत नहीं पड़ी।

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