लॉ छात्रा का वीडियो वायरल होने के बाद गंभीर आरोपों से घिरे पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री व मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद बुधवार सुबह मीडिया के सामने आए और इस मामले में अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है। लॉ कॉलेज को विश्वविद्यालय बनाने की कवायद चल रही थी, उसमें अड़ंगा लगाने का प्रयास हुआ है।
24 अगस्त को वीडियो वायरल करने के बाद जब एलएलएम छात्रा लापता हुई तो स्वामी चिन्मयानंद हरिद्वार स्थित अपने आश्रम में थे। उसके बाद से उनका किसी से कोई संपर्क नहीं हुआ। स्वामी चिन्मयानंद मंगलवार देर शाम शाहजहांपुर स्थित मुमुक्षु आश्रम पहुंच गए थे। इस दौरान उन्होंने कुछ खास लोगों से मुलाकात के अलावा किसी से बात नहीं की। बुधवार को वह मीडिया के सामने अपना पक्ष रखा।
पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला अब भी विचाराधीन है। कोर्ट ने अब तक जो निर्देश दिये हैं उससे मैं खुश हूं और मुझे पूरा विश्वास है कि दूध का दूध और पानी का पानी एसआइटी की जांच में सामने आ जाएगा। मेरी छवि को कलंकित और प्रभावित करने की कोशिश की गई है, उसका जवाब मिलेगा। उन्होंने कहा कि दुख इस बात का है कि आज जब हम लॉ कॉलेज से विश्वविद्यालय की ओर बढ़ रहे हैं तभी यह मामला उछालकर इस योजना को रोकने की कोशिश की जा रही है।
स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि ये कौन लोग हैं जो जिले और पीढ़ी के विकास में बाधा डालना चाहते हैं और इस प्रकार का घिनौना तरीका अपना रहे हैं। उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है और एसआइटी बनाई जा चुकी है, इसलिए प्रेस को कोई बात कह कर इस कार्य में बाधा और सुनवाई को प्रभावित नहीं करना चाहते हैं।
यह है मामला…
स्वामी चिन्मयानंद पर उनके के कॉलेज की विधि छात्रा को अगवा कराने समेत अन्य संगीन आरोप लगे हैं। 24 अगस्त को छात्रा ने एक वीडियो वायरल कर शारीरिक शोषण व दुष्कर्म के गंभीर आरोप लगाए थे, जिसके बाद छात्रा लापता हो गई थी। परिवारीजन ने शाहजहांपुर में स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ बेटी को अगवा कराने की एफआइआर दर्ज कराई थी।
बाद में पुलिस ने छात्रा को राजस्थान से बरामद किया और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वहां पेश किया। इससे पूर्व 22 अगस्त को स्वामी चिन्मयानंद के वाट्सएप नंबर पर एक मैसेज आया था, जिसमें उनसे पांच करोड़ की रंगदारी मांगी गई थी। इस मामले में शाहजहांपुर में ही अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसआइटी गठित
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने शाहजहांपुर प्रकरण की जांच के लिए आइजी के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन कर दिया है। आइजी लोक शिकायत नवीन अरोड़ा के अध्यक्षता में एसआइटी गठित की गई है, जिसमें 41वीं वाहिनी पीएसी गाजियाबाद की सेनानायक भारती सिंह सदस्य हैं। जरूरत के अनुरूप आइजी एसआइटी में स्वच्छ छवि के विशेषज्ञ पुलिसकर्मियों को शामिल करेंगे।
मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने मंडलायुक्त बरेली तथा महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली के कुलपति को पीड़ित विधि छात्रा व उसके भाई का दाखिला विश्वविद्यालय अथवा उससे संबद्ध किसी महाविद्यालय में कराने के निर्देश दिए हैं। एसपी शाहजहांपुर को पीड़ित छात्रा, उसके माता-पिता व परिवार के अन्य सदस्यों की तत्काल समुचित सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कराने का निर्देश भी दिया है।