छतरपुर: पूरा देश आज आजादी की सालगिरह मना रहा है. आजादी की बात हो रही है, वहीँ, मध्य प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड रीजन के जिला छतरपुर में छात्राओं को एक प्ले (नाटक) करने से रोक दिया गया. छात्राएं ‘किसान आत्महत्या, किसान दुर्दशा व बेटियों के मन की बात’ को लेकर प्ले करना चाहती थीं, लेकिन प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं देते हुए कहा कि गीत के बोल सरकार के खिलाफ हैं. इससे सरकार की छवि खराब होती है.
कार्यक्रमों की कर रहे थे मोनिटरिंग, रिहर्सल में प्ले देख भड़के अधिकारी
घटना जिला छतरपुर की है. जिला मुख्यालय पर भी आजादी की वर्षगांठ का समारोह आयोजित किया गया. इसकी अंतिम रिहर्सल सोमवार को हो रही थी. इस दौरान शासकीय कन्या विद्यालय की छात्राओं ने प्ले प्रस्तुत किया. प्ले ‘किसान आत्महत्या, किसान दुर्दशा और बेटियों की मन की बात’ पर आधारित था. बाबूराम चतुर्वेदी स्टेडियम में मौजूद लोगों ने बताया कि अंतिम रिहर्सल के समय डीएम रमेश भंडारी सहित अन्य अधिकारी एक-एक कार्यक्रम को देख रहे थे. इस दौरान उन्होंने ‘किसानों की दुर्दशा और बेटियों की मन की बात’ कहते प्ले को देखा. इसके बाद इस प्ले को मुख्य कार्यक्रम में शामिल नहीं करने का आदेश दिया. इतना ही नहीं अधिकारी भड़क उठे और प्ले तैयार करने वालों की फटकार लगा दी. बाद में प्ले को कार्यक्रम की सूची से हटा दिया गया.
सरकार चाहती है लोग अपना दर्द भूल जाएं
आईएएनएस के अनुसार बुंदेलखंड के राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास का कहना है कि सरकारी तौर पर होने वाले कार्यक्रम तो प्रशासन तय करता है, उसे इस बात की कहां चिंता होती है कि जनता के मन और दिल की बात क्या है. आम जनता अब भी प्रशासनिक व्यवस्था की गुलाम है. बुंदेलखंड में किसान दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है. फिर भी सरकार की मंशा यह है कि लोग अपने दर्द तक का जिक्र करना तक भूल जाएं.
प्ले नहीं करने देने से छात्राएं दुखी
वहीँ, इस प्ले को करने वाली छात्राएं दुखी हैं. उन्होंने बताया कि डीएम को गीत के बोल पसंद नहीं आए तो उन्होंने इस नृत्य नाटिका को ही स्वाधीनता दिवस के कार्यक्रम की सूची से हटाया दिया. छात्राओं ने बताया कि इस गीत में सूखा के संकट, किसानों की परेशानी, पानी का संकट, कर्ज की मार और आत्महत्या करते किसानों का जिक्र था. सांस्कृतिक कार्यक्रम की सूची से बालिकाओं के प्ले को आखिर क्यों हटाया गया, यह जानने के लिए जिलाधिकारी से कई बार संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने किसी भी कॉल या मैसेज का जवाब नहीं दिया. सवाल है कि ये कैसी आजादी है कि बच्चे अपने दर्द और हालात भी कार्यक्रम के जरिए बयां न कर सकें.
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