सबसे पहले स्कूल बस का उपयोग उत्तरी अमेरिका में 19वीं सदी में हुआ था. चूंकि उस समय मोटर गाड़ियां नहीं होती थीं और इसलिए स्कूल से दूर रह रहे छात्रों को लाने और ले जाने हेतु घोड़ा गाड़ी का इस्तेमाल होता था. लेकिन वहीं 20वीं सदी की शुरुआत में स्कूल की गाड़ियों के रूप में घोड़ा गाड़ी की जगह मोटर गाड़ियों का इस्तेमाल होने लगा था, जो कि लकड़ी और धातु की होती थीं और उनपर नारंगी या पीला रंग चढ़ता था, ताकि वे दूसरी मोटर गाड़ियों से अलग पहचान बना सके.

यह भी जानकर काफी हैरानी होगी कि स्कूल बसों को आधिकारिक रूप से पीले रंग से रंगने की शुरुआत 1939 में उत्तरी अमेरिका में ही हुई थी और फिर भारत, अमेरिका और कना़डा सहित दुनिया के कई देशों में भी स्कूल की बसें पीले रंग की ही हो गई. जबकि अब पीला रंग स्कूल बस की ख़ास पहचान बन चुका है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी स्कूली बसों को लेकर कई दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं, जिसके अनुसार निजी स्कूल बसों का रंग भी पीला ही होना चाहिए और इसके अलावा स्कूल बस के आगे और पीछे ‘School Bus’ लिखा होना अनिवार्य है और अगर स्कूल बस किराये की है तो उस पर भी ‘स्कूल बस ड्यूटी’ लिखा होना जरूरी है.
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