सेंटर फॉर एनवायर्नमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने अपनी एक रिपोर्ट ‘वाइब्रेंट वाराणसी : ट्रांसफार्मेशन थ्रू सोलर रूफ टॉप’ में यह दावा किया है कि बनारस की ऊर्जा समस्याओं को सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से दूर किया जा सकता है। यह रिपोर्ट बीते शनिवार को शहर में आयोजित एक राष्ट्रीय परिसंवाद में जारी की गई।

रिपोर्ट में सीड ने बनारस का अध्ययन करने के बाद दावा किया है कि बनारस के सिर्फ 8.3 प्रतिशत छतों पर सोलर पैनल लगाकर 676 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी और प्रसिद्ध पत्रकार राम दत्त त्रिपाठी ने इस रिपोर्ट का लोकार्पण किया।
राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन सीड और उत्तर प्रदेश एसोचैम ने संयुक्त रूप से किया था। इसमें विभिन्न सरकारी विभाग के अधिकारियों, उद्योगपतियों, बुद्धिजीवियों और अकादमिक लोगों ने हिस्सा लिया। परिसंवाद की अध्यक्षता जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्रा ने की। छतों पर सौर उर्जा पैनल लगाने के महत्व के बारे में बताते हुए सीड के सीईओ रमापति कुमार ने कहा, “बनारस के लिए सौर उर्जा की कल्पना के पीछे का उद्देश्य है कि कैसे हम स्वच्छ एवं पर्यावरण हितैषी सौर उर्जा के जरिए वाराणसी को ग्रीन कैपिटल के रूप में विकसित कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से पॉवर फार ऑल योजना के लिए एक समझौता किया है। बनारस में छतों पर सौर उर्जा के पैनल बिजली समस्या और बिजली की बढ़ती कीमतों का समाधान हैं। ऐसे में सौर उर्जा ही सबसे अच्छी है जो बनारस से शुरू होकर पूरे गंगा परिक्षेत्र की बिजली समस्या का समाधान कर सकता है।”
रिपोर्ट में बनारस नगर निगम में आने वाले उन इमारतों की छतों को चिन्हित किया गया है, जहां सूरज की रोशनी पहुंचती है। ऐसे 8.1 वर्ग किलोमीटर की छत चिह्नित की गई है जहां अधिकतम सूरज की रोशनी पड़ती है। इन छतों पर सोलर पैनल के जरिए 676 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चरणबद्ध तरीके से सौर उर्जा कार्यक्रम को लागू किया जा सकता है। पहले चरण के तहत 2025 तक 300 मेगावाट सौर उर्जा पैदा की जा सकती है। सौर उर्जा से न केवल उर्जा की बढ़ती मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को समाप्त किया जा सकेगा, बल्कि जैविक ईंधन कोयला और डीजल से तैयार होने वाली बिजली से भी छुटकारा मिलेगा, जो कि मंहगी और प्रदूषणकारी है। सौर उर्जा से बिजली की समस्या तो दूर होगी ही साथ ही शहर का वातावरण भी सुधरेगा।
रिपोर्ट के बारे में बताते हुए सीड के निदेशक (प्रोग्राम) और रिपोर्ट के मुख्य लेखक अभिषेक प्रताप ने बताया, “बनारस एक बदलाव से गुजर रहा है। ऐसे में इस सवाल का कोई मतलब नहीं है कि कब, बल्कि यह जानने की जरूरत है कि कैसे? वाइब्रेंट वाराणसी रिपोर्ट काशी की जीवनशैली और आधुनिक जरूरतों को समझते हुए तैयार की गई है। रिपोर्ट में एक पूरा रोडमैप दिखाया गया है कि कैसे बनारस को उर्जा के मामले में सौर उर्जा के जरिए एक निश्चित समयसीमा के भीतर आत्मनिर्भर किया जा सकता है। सौर उर्जा से शहर को चौबीसो घंटे बिजली मिल सकती है। सौर उर्जा का इस्तेमाल करके इसे एक स्मार्ट शहर के रूप में विकसित किया जा सकता है जो दूसरे शहरों के लिए एक उदाहरण होगा।”
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