अब तक थल, वायु और नौसेना के लिए करीब एक हजार से अधिक अफसरों की पौध तैयार करने वाला वट वृक्ष ‘यूपी सैनिक स्कूल’ बुधवार को 60 साल का हो गया। इस दौरान यहांं आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे डिप्टी इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ वायस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह का ब्रिगेडियर अरविंद सिंह ने स्वागत किया।
60 साल के वट से निकली जांबाजों की पौध
ये सैनिक स्कूल की मिट्टी ही है, जिसने परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पांडेय जैसे जांबाजों की पौध तैयार की। इन जांबाजों का हौसला छात्र कैडेट के रूप में मिले विश्वास ने बढ़ाया। सन 1960 में जब किसानों और गरीब बच्चों का एनडीए में जाना और फिर सैन्य अफसर बनना एक सपना मात्र था, तब वह डॉ. संपूर्णानंद ही थे जिन्होंने एक शिल्पी के रूप में हुनरमंद बच्चों को तराशकर सेनाओं में अफसर बनाने की नींव रखी। रक्षा मंत्रालय ने यूपी के इस स्कूल के मॉडल को अपनाया और देखते ही देखते कई राज्यों में सैनिक स्कूल बन गए।
यूपी सैनिक स्कूल ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। देश का पहला सैनिक स्कूल होने के साथ ही बेटियों के लिए अपने दरवाजे खोलने का गर्व भी इसी को प्राप्त है। सेना में अफसर बनाने के लिए यूपी सैनिक स्कूल में ही पहली बार वर्ष 2018 में 15 सीटों के साथ कक्षा नौ में बेटियों के एडमिशन शुरू हुए। अब वह बेटियां कक्षा 11 में आ चुकी हैं और तीसरा बैच स्कूल में आने को तैयार है। देश के किसी भी सैनिक स्कूल के छात्र कैडेट को आज तक वीरता का सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र नहीं मिला है। यह कीर्तिमान यूपी सैनिक स्कूल के छात्र कैडेट रहे बलिदानी कैप्टन मनोज पांडेय के नाम दर्ज है। इनको कारगिल युद्ध में उनके शौर्य के लिए परमवीर चक्र (मरणोपरांत) प्रदान किया गया था। बाद में उनका नाम इस स्कूल की पहचान के साथ जुड़ा।
अनुशासित जीवन दिला रही सफलता
सैनिक स्कूल से निकले छात्र कैडेटों ने मेडिकल सहित कई क्षेत्रों में सफलता के परचम लहराए हैं। स्कूल ने 12 आइएएस अधिकारी, कई पीसीएस और डॉक्टर दिए हैं। पांच साल में ही 20 छात्र कैडेटों का चयन एमबीबीएस कोर्स के लिए हुआ है। यहां के छात्र कैडेट सीबीएसई बोर्ड से इंटर तक की पढ़ाई के साथ एनडीए के जेंटलमैन कैडेटों का जीवन जीते हैं। स्पोट्र्स के साथ हर साल विधान भवन के सामने निकलने वाली गणतंत्र दिवस परेड में बैंड टुकड़ी अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है। वहीं, यहां मेस की खानपान शैली, ग्राउंड एक्टिविटी और वाद-विवाद प्रतियोगिताएं उनका मनोबल बढ़ाती हैं। करीब एक हजार की क्षमता वाला प्रदेश के बेहतरीन प्रेक्षागृह इसी स्कूल में बन रहा है।
ये हैं स्कूल के वीर चक्र विजेता
- कैप्टन मनोज पांडेय, परमवीर चक्र (मरणोपरांत)
- कैप्टन सुनील चंद्रा, वीर चक्र (मरणोपरांत)
- मेजर सलमान अहमद खान, शौर्य चक्र (मरणोपरांत)
- कर्नल केजे सिंह शौर्य चक्र, सेना मेडल (मरणोपरांत)
- कर्नल सुनील मुंडेजा, शौर्य चक्र
- मेजर आशुतोष पांडेय, शौर्य चक्रइन जांबाजों ने भी दिया बलिदान
- मेजर अमिय त्रिपाठी
- मेजर सुशील चंद्र चौधरी
- कैप्टन उत्तम राउथ
- ले. कमांडर आलोक साहू
- स्क्वाड्रन लीडर एमएस पंवार
- स्क्वाड्रन लीडर अतुल त्रिपाठी
- फ्लाइंग ऑफिसर अनिमेष श्रीवास्तवहासिल किया बड़ा मुकाम
भारतीय सेना की ट्रेनिंग कमांड के कमांडर ले. जनरल राज शुक्ल यूपी सैनिक स्कूल के ही छात्र कैडेट रह चुके हैं। इसके अलावा देश की सबसे बड़ी मध्य कमान के पूर्व सेनाध्यक्ष ले. जनरल (अवकाशप्राप्त) अनिल चैत और ले. जनरल (अवकाशप्राप्त) आरपी साही सहित 10 ले. जनरल, तीन वाईस एडमिरल और एक एयर मार्शल इसी स्कूल के छात्र रहे हैं।