पिछले दो माह से हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज और सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) के बीच चल रहे विवाद के निपटारे को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दूसरी बार विज के साथ बैठक की। गुरुवार शाम को मुख्यमंत्री आवास पर हुई बैठक करीब आधा घंटा चली। खास बात ये है कि इस दौरान केवल दोनों नेता ही कमरे में मौजूद रहे।
बैठक में एक बार फिर विज ने अपना रुख स्पष्ट किया कि अगर समाधान नहीं किया गया तो विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले वह स्वास्थ्य विभाग छोड़ देंगे। मुख्यमंत्री ने फिर से आश्वस्त किया कि वह जल्द इसका समाधान निकालेंगे।
विज के सीएम आफिस से निकलते ही मुख्यमंत्री ने अपने मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर को बुलाया और पूरे मामले को लेकर चर्चा की। सूत्रों का दावा है कि 15 दिसंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र से पहले सरकार इस विवाद को खत्म करना चाह रही है ताकि सत्र के दौरान सरकार को दिक्कत का सामना न करना पड़े। संभावना है किसी भी समय विवाद का पटाक्षेप हो सकता है।
इससे पहले इसी मामले को लेकर 15 नवंबर को अनिल विज और मुख्यमंत्री मनोहर लाल की बैठक हो चुकी है। उस समय सीएम ने विवाद हल करने के लिए कुछ समय मांगा था।
गुरुवार शाम को विज के पास सीएम का संदेश आया। शाम 4:30 बजे बजे विज सीएम आवास पर पहुंचे और पांच बजे बाहर निकले। वहीं, कुछ लोग इस मुलाकात को मंत्रिमंडल में होने वाले बदलाव से भी जोड़कर देख रहे हैं।
विज पांच अक्टूबर से नहीं देख रहे फाइलें
मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर ने पांच अक्टूबर को केंद्र सरकार का हवाला देकर स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक ली थी। पंचकूला में हुई इस बैठक में स्वास्थ्य विभाग के एसीएस स्तर तक के अधिकारियों की बैठक ली थी। इसी बात को लेकर विज नाराज हैं। विज अपने विभाग में किसी का दखल पसंद नहीं करते। इसलिए दो माह से अधिक समय से उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की फाइलें देखनी बंद कर रखी हैं।
सदन में उठाएंगे विज और सीएमओ का विवाद: हुड्डा
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज और सीएमओ के बीच चल रहे विवाद पर नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी निशाना साधा है। हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस यह मामला शीतकालीन सत्र में उठाएगी।
हुड्डा ने कहा कि विज उनके मित्र हैं और शुरू से उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है। पहले उन्हें गृह मंत्रालय दिया लेकिन सीआईडी वापस ले लिया। अब स्वास्थ्य विभाग में ऐसा हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। पहले से प्रदेश का स्वास्थ्य तंत्र व कानून व्यवस्था चरमराई हुई है। सरकार की आपसी खींचतान से यह और बिगड़ रही है। मुख्यमंत्री को इस मामले की गंभीरता को समझना चाहिए।
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