सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया कि दो महीने के अंदर प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड उपलब्ध कराए जाएं। जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुलाह की खंडपीठ ने 20 अप्रैल 2023 तक कोर्ट के आदेश का पालन करने में प्रशासन की विफलता के बाद नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। नए कार्डधारकों को इनसे संबद्ध करने से पहले इसको भी अपडेट किया जाना जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देशित किया कि दो महीने के अंदर प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड उपलब्ध कराए जाएं। यह वह श्रमिक हैं जो विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हैं।
जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुलाह की खंडपीठ ने 20 अप्रैल, 2023 तक कोर्ट के आदेश का पालन करने में प्रशासन की विफलता के बाद नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इससे पहले के आदेश में सर्वोच्च अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राशन कार्ड मुहैया कराने के लिए तीन महीने का समय दिया था। अदालत ने निर्देश दिया कि यह राशन कार्ड राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत निर्धारित कोटे के अतिरिक्त जारी करने अनिवार्य हैं।
प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड देने का हुआ व्यापक प्रचार
पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड देने का व्यापक प्रचार किया जाए। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि बेवजह की देरी से 80 करोड़ राशनकार्ड धारकों की ई-केवाईसी में भी बाधा आ रही है। नए कार्डधारकों को इनसे संबद्ध करने से पहले इसको भी अपडेट किया जाना जरूरी है।
बिना राशन कार्ड के भी खाद्य सामग्री होंगे उपलब्ध
अदालत ने केंद्र सरकार से ऐसी प्रणाली विकसित करने को कहा है कि बिना राशन कार्ड के भी खाद्य सामग्री उपलब्ध करायी जा सके। पीठ ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को कल्याणकारी योजनाओं से लाभांवित होना चाहिए और कहा कि कल्याणकारी राज्य में, सरकार का यह कर्तव्य है कि वह लोगों तक पहुंचे। सरकार की ओर से बताया गया था कि लगभग 38 करोड़ प्रवासी श्रमिकों में से केंद्र द्वारा संचालित एक आनलाइन पोर्टल ई-श्रम पर देश भर के लगभग 28 करोड़ श्रमिकों का पंजीकरण हो चुका है।