सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा को हरी झंडी दे दी है. इस प्रोजेक्ट के तहत संसद की नई इमारत समेत कई सरकारी दफ्तरों का निर्माण हो रहा है.
इसके खिलाफ कई याचिकाएं दायर हुई थीं, जिसमें लैंड यूज में बदलाव के खिलाफ याचिका भी शामिल थी. कोर्ट ने पर्यावरण कमेटी की रिपोर्ट को भी नियमों को अनुरुप माना है.
संसद भवन, केंद्रीय सचिवालय और इसके आसपास राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैले हरित क्षेत्र में मौजूद सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास की महत्वाकांक्षी योजना को आकार दिया जाएगा। इसके लिए आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय जमीन भी चिह्नित कर चुका है।
इस योजना के तहत राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट के बीच लगभग तीन किमी क्षेत्र में 100 एकड़ से अधिक जमीन पर संसद भवन, केंद्रीय सचिवालय और सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास की योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा।
इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत नई बिल्डिंग को इस तरह बनाया जाएगा कि कर्मचारी पैदल चलकर ही एक दूसरे मंत्रालय में जा सकेंगे। रेल भवन, शास्त्री भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवन, वायुसेना भवन, आर्मी मुख्यालय, नीति आयोग, चुनाव आयोग और कृषि भवन आदि मंत्रालयों की बिल्डिंगों को मिलाकर एक भव्य परिसर बनाया जाएगा।
राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किमी के दायरे में मौजूद सेंट्रल विस्टा को पुनर्विकसित करने की मेगा योजना के तहत मोदी सरकार ने संसद भवन, एकीकृत केंद्रीय सचिवालय और सेंट्रल विस्टा के विकास या पुनर्विकास के लिए प्रस्ताव मांगा है।