महाराष्ट्र पुलिस द्वारा शुक्रवार को पेश माओवादी सुधा भारद्वाज के पत्र में लिखी गई घटनाएं पुलिस को नक्सलियों के बारे में मिली उस समय की सूचनाओं से अक्षरश: मेल खाती दिख रही हैं। महाराष्ट्र पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक परमवीर सिंह ने 31 अगस्त को प्रेस कान्फ्रेंस में सुधा के पत्र का हवाला दिया था।
पत्र की शुरुआत में ही सुधा, कामरेड प्रकाश को लिखती हैं कि वह इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीपुल्स लॉयर्स (आइएपीएल) की बैठक में भाग लेने 19 मार्च, 2017 को नागपुर गई थीं। कामरेड सुरेंद्र और कामरेड शोमा सेन ने उनकी काफी मदद की। कामरेड सुरेंद्र द्वारा महाराष्ट्र तथा छत्तीसगढ़ के अंदरूनी हिस्सों में किए जा रहे ऑपरेशनों की जानकारी दी गई। वह ग्राउंड लेवल पर दुश्मनों के खिलाफ अच्छा काम कर रहे हैं।
19 मार्च, 2017 के सुधा के पत्र में उनके नागपुर पहुंचने का जिक्र है। उसी तारीख को मुंबई से गए वेरनन गोंजाल्विस और अरुण परेरा भी उसी बैठक में हिस्सा लेने नागपुर पहुंचे थे। पुलिस सूत्रों से मिली सूचना के अनुसार ये दोनों 17 मार्च, 2017 को ही सुबह 9.15 बजे विदर्भ एक्सप्रेस से नागपुर पहुंचकर सुरेंद्र गाडलिंग के घर गए। उसी दिन दोपहर ये दोनों शोमा सेन के घर पहुंचे और रात वहीं पर रुके।
अगले दिन सुबह आठ बजे ये दोनों फिर सुरेंद्र गाडलिंग के घर पहुंचे। वहां से 11.30 बजे निजी वाहन से अरमोरी जाकर एडवोकेट जगदीश मेश्राम से मिले और रात में गढ़चिरौली पहुंचे। सुबह छह बजे अरमोरी से निकलकर 11 बजे सुरेंद्र गाडलिंग के घर पर हुई आइएपीएल की बैठक में शामिल होने नागपुर पहुंच गए। बता दें कि इस बैठक में सुधा और शोमा सेन ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये हिस्सा लिया। 20 मार्च को अरुण और गोंजाल्विस दिनभर सुरेंद्र गाडलिंग के घर रुककर रात को दुरंतो से पुन: मुंबई के लिए रवाना हो गए।