सीबीआई ने पटना AIIMS के दो डॉक्टरों पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। सीबीआई ने दोनों पर फर्जी सर्टिफिकेट से नौकरी करने का है आरोप लगाया है। अब सीबीआई कार्रवाई कर रही है।
सीबीआई ने पटना एम्स में चयनित दो डॉक्टरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। सीबीआई की इस कार्रवाई के बाद भर्ती प्रक्रिया में धांधली का खुलासा हुआ है। इन दोनों पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी जाति और आरक्षण प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी हासिल की है। इस मामला के सामने आने के बाद एम्स में हलचल बढ़ गई है।
सीबीआई के अनुसार इस मामले में डॉक्टर कुमार सिद्धार्थ और डॉक्टर कुमार हर्षित राज आरोपी हैं। सीबीआई ने इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत मामला दर्ज किया है। जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के डिप्टी एसपी सुरेंद्र देपावत को सौंपी गई है। दानापुर के अधिवक्ता सत्येंद्र कुमार की शिकायत पर यह मामला दिसंबर 2024 में दर्ज की गई थी, जिसमें यह कहा गया था कि जून से सितंबर 2023 के बीच फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एम्स पटना में चयन हुआ।
सीबीआई की शुरुआती जांच में पाया गया कि कुमार सिद्धार्थ ने एसडीओ पटना सदर से जारी जाली ओबीसी नॉन-क्रीम लेयर प्रमाणपत्र का इस्तेमाल किया। इन प्रमाणपत्रों में 9 सितंबर 2023 की BOBCDM/20235/89504, 30 अगस्त 2023 का BOBC SDO/2023/148247 और 28 अगस्त 2023 का BOBCCO/2023/364518 शामिल हैं। सीबीआई ने आरोप लगाते हुए कहा है कि उनकी नियुक्ति के लिए एसोसिएट प्रोफेसर का पद घटाकर असिस्टेंट प्रोफेसर कर दिया गया।
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