इसके बाद दवा बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ के पेंड्रा, अंबिकापुर, कांकेर और रायपुर के कुछ सीताफलों के बगीचों से लाए गए बीजों पर शोध किया गया। सबसे पहले शोध का परिणाम आंध्र प्रदेश के गीतम विश्वविद्यालय को भेजा गया। इसके बाद क्रोएशिया में इस पर सम्मेलन भी हुआ। इसमें देश-विदेश के 20 से अधिक विशेषज्ञ मौजूद थे।
सभी ने शोध की सराहना करते हुए शोध के आधार पर दवा तैयार करने पर जोर दिया। ज्ञात हो कि बिलासपुर विश्वविद्यालय में छत्तीसगढ़ सहित आंध्र प्रदेश, ओड़िशा, महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों के फूल और पौधों का काफी समय से शोध चल रहा है। शोध के दौरान ही सीताफल के बीज के चमत्कारिक गुणों का पता चला है। डॉ. कलाधर के अनुसार, सीताफल के बीज में कई गुण है। इसमें प्राकृतिक एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन-सी बहुत अधिक मात्रा में है।
विटामिन-सी से शरीर में इम्यून सिस्टम को मजबूती मिलती है। यह ऊर्जा का अच्छा स्रोत है, इसमें विटामिन-बी भी होता है। उन्होंने बताया कि सीताफल का बीज खून की कमी यानी एनीमिया से बचाता है, बीज में मौजूद मैग्नीशियम शरीर में पानी संतुलित करता है, सोडियम और पोटेशियम संतुलित मात्रा में होता है। यह खून का बहाव यानी ब्लड प्रेशर में अचानक होने वाले बदलाव को नियंत्रित करता है। साथ ही शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है।