मध्यप्रदेश: मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) ने कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन प्रशासनिक प्रक्रियाओं को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए नई कार्यप्रणाली पेश की। अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज मंडलोई ने बताया कि अब मुख्यमंत्री के दौरे, घोषणाओं, स्वेच्छानुदान और अन्य प्रशासनिक गतिविधियों का संचालन सुव्यवस्थित होगा। मुख्यमंत्री के दौरे की तैयारी अब दो स्तरों में होगी। प्रारंभिक योजना और मुख्य कार्यक्रम। प्रारंभिक योजना में किसी कार्यक्रम का प्रस्ताव आने पर जिले को तुरंत प्रतिक्रिया देनी होगी, जबकि मुख्य कार्यक्रम में स्थानीय पहल, सर्किट हाउस ब्रीफिंग, प्रभावित परिवारों से मुलाकात और संस्थागत दौरे शामिल होंगे। अधिकारियों को आयोजन स्थल की पूरी समीक्षा करनी होगी, जिसमें यातायात, पार्किंग, पानी और शौचालय जैसी सुविधाओं का आकलन शामिल है।
जिलों में वीडियो कॉन्फेंसिंग प्रणाली स्थापित होगी
घोषणाओं के प्रबंधन के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया बनाई गई है। संभावित घोषणाओं को पहले ही सीएम कार्यालय को भेजा जाएगा और केवल महत्वपूर्ण परियोजनाओं को पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। इसी तरह, मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान के तहत लाभार्थियों को 48 घंटे के भीतर भुगतान सुनिश्चित करने और ऑनलाइन समस्याओं का त्वरित समाधान करने की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली स्थापित करने का निर्णय भी लिया है, जिसके लिए हर क्षेत्र को पांच लाख रुपये का बजट मिलेगा।
अधिकारियों को सौंपी गई जिम्मेदारी
इसके अलावा दौरे के समन्वय के लिए भी अधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। जिसमें आलोक सिंह समग्र समन्वय संभालेंगे, अरविंद दुबे घोषणाओं का प्रबंधन करेंगे और समीर यादव सुरक्षा व्यवस्था देखेंगे। नीरज मंडलोई ने बताया कि इस नई प्रणाली के लागू होने से मुख्यमंत्री के दौरे और घोषणाओं का कार्य तेज, पारदर्शी और प्रभावी तरीके से संपन्न होगा। इससे प्रशासनिक कामकाज में एक नई गति आएगी और जनहितकारी योजनाओं का लाभ अधिक तेजी से जनता तक पहुंच सकेगा।
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