एब्डॉमिनल माइग्रेन की समस्या से बचने के लिए ब्रोकली का सेवन करें। माइग्रेन में दर्द निवारक दवाएं सेहत के लिए नुकसानदेह है। दर्द से बचने के लिए कैफीन के सेवन से बचें। आजकल लोगों में माइग्रेन की समस्या बढ़ती जा रही है जिसका मुख्य कारण जीवनशैली में आने वाला बदलाव है। लोगों की खान-पान व रहन सहन की आदतों में बहुत बदलाव आए हैं जो कि सेहत से जुड़ी समस्याओं को पैदा करते हैं। माइग्रेन एक मस्तिष्क विकार माना जाता है। आमतौर पर लोग माइग्रेन की समस्या के दौरान अपने आहार पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं जो कि दर्द को और भी बढ़ा सकते हैं। माइग्रेन की समस्या होने पर ज्यादातर लोग दवाओं की मदद लेकर इससे निजात पाना चाहते हैं। लेकिन वे इस बात से अनजान होते हैं कि ये दवाएं स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। जानें माइग्रेन में किस तरह के आहार का सेवन करना चाहिए। यूं तो हरी पत्‍तेदार सब्‍जियां सेहत के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है। लेकिन माइग्रेन के दौरान इनका सेवन जरूर करना चाहिए क्योंकि इनमें मैग्निशियम अधिक होता है जिससे माइग्रेन के दर्द जल्द ठीक हो जाता है। इसके अलावा साबुत अनाज, समुद्री जीव और गेहूं आदि में बहुत मैग्निशियम होता है। माइग्रेन से बचने के लिए मछली का सेवन भी फायदेमंद होता है। इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन पाया जाता है जो कि माइग्रेन का दर्द से जल्द छुटकारा दिलाती है। अगर आप शाकाहारी हैं तो अलसी के बीज का सेवन कर सकते हैं। इसमें भी ओमेगा 3 फैटी एसिड और फाइबर पाया जाता है। इसे भी पढ़ें : आयुर्वेदिक तरीके से करें माइग्रेन का इलाज वसा रहित दूध या उससे बने प्रोडक्‍ट्स माइग्रेन को ठीक कर सकते हैं। इसमें विटामिन बी होता है जिसे राइबोफ्लेविन बोलते हैं और यह कोशिका को ऊर्जा देती है। यदि सिर में कोशिका को ऊर्जा नहीं मिलेगी तो माइग्रेन दर्द होना शुरु हो जाएगा। कैल्शियम व मैग्निशियम युक्त आहार को अगर साथ में लिया जाए तो इससे माइग्रेन की समस्या से छुटाकारा पाया जा सकता है। ब्रोकली में मैग्‍निशीयम पाया जाता है तो आप ब्रोकली को सब्जी या सूप आदि के साथ ले सकते हैं। ये खाने में अच्छी लगती है। इसे भी पढ़ें : इसलिए 50 की उम्र के बाद तेजी से बढ़ता है माइग्रेन का खतरा बाजरा में फाइबर, एंटीऑक्‍सीडेंट और मिनरल पाये जाते हैं। तो ऐसे में माइग्रेन का दर्द होने पर साबुत अनाज से बने भोजन का जरुर सेवन करें। अदरक आयुर्वेद के अनुसार अदरक आपके सिर दर्द को ठीक कर सकता है। भोजन बनाते वक्‍त उसमें थोड़ा सा अदरक मिला दें और फिर खाएं। खाने के साथ नियमित रुप से लहसुन की दो कलियों का सेवन जरूर करें। यह आपको माइग्रेन की समस्या से बचाता है। जिन चीजों में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है जैसे चिकन, मछली, बीन्स,मटर, दूध, चीज, नट्स और पीनट बटर आदि। इन चीजों में प्रोटीन के साथ विटामिन बी6 भी पाया जाता है। माइग्रेन के दौरान कॉफी या चाय की जगह हर्बल टी पीना काफी लाभकारी है। इसमें मौजूद नैचुरल तत्व जैसे अदरक, तुलसी, कैमोमाइल और पुदीना चिंता से निजात दिलाने और मांसपेशियों को तनावरहित करने में कारगर है। बढ़ती उम्र में माइग्रेन जब व्यक्ति 50 और 60 साल के बीच में होता है तो उसे अपने दैनिक जीवन और दिनचर्या में काफी बदलाव करना पड़ता है। अचानक होने वाले इन बदलावों को व्यक्ति जल्दी से स्वीकार नहीं कर पाता है। जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण इसे इस बदलाव के अनुकूल उसे ढालने में मदद करता है।जिन लोगों की पहचान उनकी नौकरी या व्यवसाय से जुड़ी रहती है वैसे लोगों को सेवानिवृति के बाद मानसिक तौर पर अस्वस्थ्य होने की संभावना अधिक रहती है। जिन लोगों में बढती उम्र का एहसास कुछ ज्यादा होता है और वह देखने में भी बुढ़े लगने लगते है उनमें स्वंय को लाचार और असहाय समझने जैसी हीन भावना आ जाती है। जो इस रोग का कारण बनते हैं। इससे होने वाले नुकसान मानसिक रोग होने के कई नुकसान हो सकते हैं। उम्र बढने के साथ अचानक मरने का विचार मन में आने लगना। अपने जीवन में होने वाले बदलावों के प्रति असंतुष्ठि का भाव और कुछ अधुरे सपने और दमित इच्छाओं को पानेे की अपेक्षाएं। अपने परिवार में पत्नी, बच्चे या किसी अन्य इष्ट की मौत हो जाने या किसी सहकर्मी की मौत से भी व्यक्ति व्यथित हो जाता है। व्यक्ति को लगता है कि वह दूसरों पर बोझ बन रहा है और अब उसकी किसी को जरूरत नहीं है। परिवार में बच्चों द्वारा अपने माता पिता को घर में अकेला छोड़ कर खुद अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहने की बढ़ती प्रवृति के कारण भी बूढे लोगों में एक तरह से असुरक्षा का भाव पनपने लगता है। वह भावनात्मक रूप से काफी संवेदनशील हो जाता है। जिसके चलते व्यक्ति हार्ट अटैक, डिप्रेशन और बीपी हाई व लो जैसे रोगों से घिरने लगता है।माइग्रेन आमतौर पर बच्चों को होता है। इसके सही कारणों का पता नहीं लग पाया है। सबसे ज्यादा मामले लड़कियों में पाए गए हैं। माइग्रेन का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में सिर दर्द की तस्वीर आ जाती है। मगर क्या आपको पता है कि माइग्रेन के कारण आपको पेट दर्द की समस्या भी हो सकती है। जी हां! माइग्रेन सिर्फ सिर में ही नहीं, बल्कि पेट में भी हो सकता है। पेट में होने वाले माइग्रेन को एब्डॉमिनल माइग्रेन कहते हैं और इसकी वजह से आपको तेज पेट दर्द, पेट में मरोड़, थकान और उल्टी हो सकती है। इस तरह का माइग्रेन ज्यादातर अनुवांशिक होता है। किनको होता है खतरा एब्डॉमिनल माइग्रेन यानि पेट का माइग्रेन आमतौर पर अनुवांशिक होता है और छोटे बच्चों को होता है। इसका सबसे ज्यादा खतरा उन बच्चों को होता है जिनके माता-पिता पहले से माइग्रेन के शिकार हैं। बच्चों में भी इस तरह के माइग्रेन के मामले सबसे ज्यादा लड़कियों में देखे गए हैं। जिन बच्चों को बचपन में एब्डॉमिनल माइग्रेन की शिकायत होती है, बड़े होकर उन्हें सिर का माइग्रेन होने की संभावना भी बहुत ज्यादा होती है। इसे भी पढ़ें:- पर्याप्त पानी नहीं पीते हैं, तो हो सकती है माइग्रेन की समस्या, जानें क्या हैं इसके लक्षण क्या हैं एब्डॉमिनल माइग्रेन का कारण एब्डॉमिनल माइग्रेन के सही-सही कारण का अब तक पता नहीं लगा है मगर डॉक्टर्स मानते हैं कि शरीर में बनने वाले दो कंपाउंड हिस्टामाइन और सेरोटोनिन इस तरह के दर्द के जिम्मेदार होते हैं। शरीर में ये दोनों ही कंपाउंड अत्यधिक चिंता करने और अवसाद के कारण बनते हैं। चाइनीज फूड्स और इंस्टैंट नूडल्स में इस्तेमाल होने वाला मोनोसोडियम ग्लूटामेट या एमएसजी, प्रोसेस्ड मीट और चॉकलेट के ज्यादा सेवन से भी शरीर में ये कंपाउंड बनते हैं। कई बार ज्यादा मात्रा में हवा निगल लेने के कारण भी एब्डॉमिनल माइग्रेन की समस्या हो सकती है। क्या हैं एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन का तेज पेट के बिल्कुल बीच में या नाभि के पास होता है। इसके अलावा इस रोग में ये लक्षण दिख सकते हैं- पेट में तेज दर्द की समस्या पेट का रंग पीला दिखाई देना दिनभर थकान और सुस्ती भूख कम लगना और खाने-पीने का मन न करना आंखों के नीचे काले घेरे आना आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण पहले से नहीं दिखाई देते हैं। कई बार एब्डॉमिनल माइग्रेन का दर्द आधे घंटे में ही ठीक हो जाता है और कई बार 2-3 दिन तक बना रहता है। इसे भी पढ़ें:- इन 6 बातों को नजरअंदाज करने से बढ़ जाता है माइग्रेन, जरूरी है सावधानी क्या है एब्डॉमिनल माइग्रेन का इलाज चूंकि एब्डॉमिनल माइग्रेन के सही कारणों का पता नहीं चल सका है इसलिए गंभीर हो जाने पर इसका इलाज मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन का पता चलने पर चिकित्सक इसका इलाज सामान्य माइग्रेन की तरह करते हैं, जिससे कई बार मरीज को पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। आमतौर पर बिना किसी गंभीर लक्षण के दिखाई दिए, चिकित्सक दवा नहीं देते हैं।

सिर ही नहीं पेट में भी होता है माइग्रेन का दर्द, जानिए एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण और कारण

  • एब्डॉमिनल माइग्रेन आमतौर पर बच्चों को होता है।
  • इसके सही कारणों का पता नहीं लग पाया है।
  • सबसे ज्यादा मामले लड़कियों में पाए गए हैं।
माइग्रेन का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में सिर दर्द की तस्वीर आ जाती है। मगर क्या आपको पता है कि माइग्रेन के कारण आपको पेट दर्द की समस्या भी हो सकती है। जी हां! माइग्रेन सिर्फ सिर में ही नहीं, बल्कि पेट में भी हो सकता है। पेट में होने वाले माइग्रेन को एब्डॉमिनल माइग्रेन कहते हैं और इसकी वजह से आपको तेज पेट दर्द, पेट में मरोड़, थकान और उल्टी हो सकती है। इस तरह का माइग्रेन ज्यादातर अनुवांशिक होता है।

 

किनको होता है खतराएब्डॉमिनल माइग्रेन आमतौर पर बच्चों को होता है। इसके सही कारणों का पता नहीं लग पाया है। सबसे ज्यादा मामले लड़कियों में पाए गए हैं। माइग्रेन का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में सिर दर्द की तस्वीर आ जाती है। मगर क्या आपको पता है कि माइग्रेन के कारण आपको पेट दर्द की समस्या भी हो सकती है। जी हां! माइग्रेन सिर्फ सिर में ही नहीं, बल्कि पेट में भी हो सकता है। पेट में होने वाले माइग्रेन को एब्डॉमिनल माइग्रेन कहते हैं और इसकी वजह से आपको तेज पेट दर्द, पेट में मरोड़, थकान और उल्टी हो सकती है। इस तरह का माइग्रेन ज्यादातर अनुवांशिक होता है।    किनको होता है खतरा एब्डॉमिनल माइग्रेन यानि पेट का माइग्रेन आमतौर पर अनुवांशिक होता है और छोटे बच्चों को होता है। इसका सबसे ज्यादा खतरा उन बच्चों को होता है जिनके माता-पिता पहले से माइग्रेन के शिकार हैं। बच्चों में भी इस तरह के माइग्रेन के मामले सबसे ज्यादा लड़कियों में देखे गए हैं। जिन बच्चों को बचपन में एब्डॉमिनल माइग्रेन की शिकायत होती है, बड़े होकर उन्हें सिर का माइग्रेन होने की संभावना भी बहुत ज्यादा होती है।  इसे भी पढ़ें:- पर्याप्त पानी नहीं पीते हैं, तो हो सकती है माइग्रेन की समस्या, जानें क्या हैं इसके लक्षण  क्या हैं एब्डॉमिनल माइग्रेन का कारण एब्डॉमिनल माइग्रेन के सही-सही कारण का अब तक पता नहीं लगा है मगर डॉक्टर्स मानते हैं कि शरीर में बनने वाले दो कंपाउंड हिस्टामाइन और सेरोटोनिन इस तरह के दर्द के जिम्मेदार होते हैं। शरीर में ये दोनों ही कंपाउंड अत्यधिक चिंता करने और अवसाद के कारण बनते हैं। चाइनीज फूड्स और इंस्टैंट नूडल्स में इस्तेमाल होने वाला मोनोसोडियम ग्लूटामेट या एमएसजी, प्रोसेस्ड मीट और चॉकलेट के ज्यादा सेवन से भी शरीर में ये कंपाउंड बनते हैं। कई बार ज्यादा मात्रा में हवा निगल लेने के कारण भी एब्डॉमिनल माइग्रेन की समस्या हो सकती है।  क्या हैं एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन का तेज पेट के बिल्कुल बीच में या नाभि के पास होता है। इसके अलावा इस रोग में ये लक्षण दिख सकते हैं-  पेट में तेज दर्द की समस्या पेट का रंग पीला दिखाई देना दिनभर थकान और सुस्ती भूख कम लगना और खाने-पीने का मन न करना आंखों के नीचे काले घेरे आना आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण पहले से नहीं दिखाई देते हैं। कई बार एब्डॉमिनल माइग्रेन का दर्द आधे घंटे में ही ठीक हो जाता है और कई बार 2-3 दिन तक बना रहता है। इसे भी पढ़ें:- इन 6 बातों को नजरअंदाज करने से बढ़ जाता है माइग्रेन, जरूरी है सावधानी  क्या है एब्डॉमिनल माइग्रेन का इलाज चूंकि एब्डॉमिनल माइग्रेन के सही कारणों का पता नहीं चल सका है इसलिए गंभीर हो जाने पर इसका इलाज मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन का पता चलने पर चिकित्सक इसका इलाज सामान्य माइग्रेन की तरह करते हैं, जिससे कई बार मरीज को पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। आमतौर पर बिना किसी गंभीर लक्षण के दिखाई दिए, चिकित्सक दवा नहीं देते हैं।

एब्डॉमिनल माइग्रेन यानि पेट का माइग्रेन आमतौर पर अनुवांशिक होता है और छोटे बच्चों को होता है। इसका सबसे ज्यादा खतरा उन बच्चों को होता है जिनके माता-पिता पहले से माइग्रेन के शिकार हैं। बच्चों में भी इस तरह के माइग्रेन के मामले सबसे ज्यादा लड़कियों में देखे गए हैं। जिन बच्चों को बचपन में एब्डॉमिनल माइग्रेन की शिकायत होती है, बड़े होकर उन्हें सिर का माइग्रेन होने की संभावना भी बहुत ज्यादा होती है।

क्या हैं एब्डॉमिनल माइग्रेन का कारण

एब्डॉमिनल माइग्रेन के सही-सही कारण का अब तक पता नहीं लगा है मगर डॉक्टर्स मानते हैं कि शरीर में बनने वाले दो कंपाउंड हिस्टामाइन और सेरोटोनिन इस तरह के दर्द के जिम्मेदार होते हैं। शरीर में ये दोनों ही कंपाउंड अत्यधिक चिंता करने और अवसाद के कारण बनते हैं। चाइनीज फूड्स और इंस्टैंट नूडल्स में इस्तेमाल होने वाला मोनोसोडियम ग्लूटामेट या एमएसजी, प्रोसेस्ड मीट और चॉकलेट के ज्यादा सेवन से भी शरीर में ये कंपाउंड बनते हैं। कई बार ज्यादा मात्रा में हवा निगल लेने के कारण भी एब्डॉमिनल माइग्रेन की समस्या हो सकती है।

क्या हैं एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण

आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन का तेज पेट के बिल्कुल बीच में या नाभि के पास होता है। इसके अलावा इस रोग में ये लक्षण दिख सकते हैं-

  • पेट में तेज दर्द की समस्या
  • पेट का रंग पीला दिखाई देना
  • दिनभर थकान और सुस्ती
  • भूख कम लगना और खाने-पीने का मन न करना
  • आंखों के नीचे काले घेरे आना
  • आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण पहले से नहीं दिखाई देते हैं। कई बार एब्डॉमिनल माइग्रेन का दर्द आधे घंटे में ही ठीक हो जाता है और कई बार 2-3 दिन तक बना रहता है।

क्या है एब्डॉमिनल माइग्रेन का इलाज

चूंकि एब्डॉमिनल माइग्रेन के सही कारणों का पता नहीं चल सका है इसलिए गंभीर हो जाने पर इसका इलाज मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन का पता चलने पर चिकित्सक इसका इलाज सामान्य माइग्रेन की तरह करते हैं, जिससे कई बार मरीज को पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। आमतौर पर बिना किसी गंभीर लक्षण के दिखाई दिए, चिकित्सक दवा नहीं देते हैं।

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