सासाराम की राजनीति में हलचल, कौन पाएगा मतदाताओं का भरोसा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार भी कई सीटों पर ‘स्थानीय बनाम बाहरी’ मुद्दा जोर पकड़ रहा है। स्थानीय उम्मीदवारों की ओर मतदाताओं के झुकाव को देखते हुए कई प्रत्याशी इसे अपने प्रतिद्वंदियों के खिलाफ मजबूत हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं, बाहरी उम्मीदवार अपने गठबंधन के बड़े नेताओं के भरोसे मैदान में हैं। हालांकि कभी-कभी यह मुद्दा गौण हो जाता है और बाहरी उम्मीदवार पार्टी की मजबूत हवा और शीर्ष नेताओं की सभाओं से बाजी मार लेते हैं, लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता। मतदाता अपने स्थानीय उम्मीदवार के प्रति जुड़ाव महसूस करते हैं, जिसका खामियाजा बाहरी उम्मीदवारों और पार्टियों को भुगतना पड़ता है।

महागठबंधन से स्थानीय और एनडीए से बाहरी उम्मीदवार
सासाराम विधानसभा सीट से स्थानीय उम्मीदवारों में महागठबंधन की ओर से राजद प्रत्याशी सत्येंद्र साह, बसपा प्रत्याशी और पूर्व विधायक डॉ. अशोक सिंह, तथा जन सुराज प्रत्याशी विनय सिंह मैदान में हैं। वहीं बाहरी उम्मीदवार के रूप में एनडीए गठबंधन से आरएलएम प्रत्याशी स्नेहा लता कुशवाहा चुनाव लड़ रही हैं। स्नेहलता कुशवाहा आरएलएम सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी हैं। इसके अलावा एनसीपी से आशुतोष सिंह, आम आदमी पार्टी से अरमान अहमद खान सहित कई स्थानीय प्रत्याशी भी मैदान में हैं।

सासाराम सीट पर ‘स्थानीय बनाम बाहरी’ का मुद्दा
सासाराम विधानसभा सीट (208) में यह मुद्दा पूरी तरह गरम है। सभी स्थानीय प्रत्याशी बाहरी उम्मीदवार के मुद्दे को भुनाने में जुटे हैं, ताकि भावनात्मक अलगाव पैदा कर लाभ लिया जा सके। महागठबंधन, जन सुराज और बसपा के स्थानीय प्रत्याशी इस मुद्दे पर मजबूत दिखाई दे रहे हैं, जबकि यह मुद्दा एनडीए प्रत्याशी स्नेहलता कुशवाहा के लिए चुनौती बना हुआ है।

स्थानीय उम्मीदवार के प्रति मतदाताओं का झुकाव
मतदाता अपने स्थानीय उम्मीदवार के साथ जुड़ाव महसूस करते हैं। उनका मानना है कि स्थानीय उम्मीदवार उनकी समस्याओं को बेहतर समझेगा और क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता देगा। इसके विपरीत, बाहरी उम्मीदवार को मतदाता पसंद नहीं करते, जो क्षेत्र की समस्याओं से अनजान हो। स्थानीय उम्मीदवार इस मतदाताओं के झुकाव को अपने पक्ष में इस्तेमाल करते हैं और अक्सर इसका लाभ उन्हें मिलता है। बहरहाल, देखना दिलचस्प होगा कि सासाराम विधानसभा सीट पर ‘स्थानीय बनाम बाहरी’ का यह मुद्दा इस बार कितनी असरदार साबित होता है।

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