सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों लिए आरक्षण के मापदंडों को लेकर आखिरकार कई दिनों से जारी ऊहापोह गुरुवार को खत्म हो गई। सरकार ने इसके मापदंड तय कर दिए हैं। सालाना आठ लाख रुपये तक की आय सीमा को यथावत रखा गया है।
हालांकि यह सिर्फ केंद्र सरकार से जुड़े शैक्षणिक संस्थानों और केंद्रीय नौकरियों में ही अनिवार्य रूप से लागू होगा। राज्यों को छूट दी गई है कि वे अपनी जरूरत और स्थिति के हिसाब से आयसीमा कम-ज्यादा कर सकें।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के मुताबिक, मापदंडों को अंतिम रूप देने के साथ ही उसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय और कार्मिक मंत्रालय (डीओपीटी) को अमल शुरू करने के लिए भेज दिया गया है।
इसके अलावा तय मापदंडों में जो एक अहम बिंदु जोड़ा गया है, उसके तहत इसका लाभ निजी क्षेत्र के वित्तीय मदद न लेने वाले संस्थानों पर भी लागू होगा। इसके लिए जरूरी कानूनी प्रावधानों को तैयार करने का जिम्मा मानव संसाधन विकास मंत्रालय पर छोड़ा गया है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय पहले ही यह आरक्षण आगामी शैक्षणिक सत्र से लागू करने की घोषणा कर चुका है। साथ ही इसे लेकर 25 फीसद सीटें बढ़ाने सहित दूसरी तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं। पिछले दिनों केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने खुद इसकी जानकारी दी थी।