द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार अंतरराष्ट्रीय तनाव और उठा-पटक फिर से चरम पर है. तृतीय विश्वयुद्ध का खतरा मंडरा रहा है. हालांकि इस बार विश्वयुद्ध ऑनलाइन लड़ा जाएगा, जिसे साइबर युद्ध की संज्ञा दी जा रही है. दिलचस्प बात यह है कि यह साइबर विश्वयुद्ध पहले हो चुके दो विश्वयुद्धों से भी ज्यादा घातक साबित हो सकता है.
इसमें हमलावर की पहचान कर पाना भी आसान नहीं है. महज अंदाजा लगाकर ही किसी पर आरोप लगाया जा सकता है. ऐसे में अमेरिका समेत दुनिया के शक्तिशाली देशों के परमाणु हथियार भी धरे के धरे रह जाएंगे और हैकर दुनिया को तबाह कर देंगे. वर्तमान में कतर संकट और खाड़ी क्षेत्र में उपजे तनाव के लिए हैकिंग को जिम्मेदार बताया जा रहा है.
FBI और कतर का मानना है कि रूसी हैकरों ने कतर की समाचार एजेंसी में घुसपैठ की और फिर फेक न्यूज चलाई, जिसके बाद खाड़ी देशों ने कतर से रिश्ता तोड़ लिया. आरोप है कि खाड़ी क्षेत्र में कतर में रूस का सबसे बड़ा सैन्य ठिकाना है, जिसके चलते रूसी हैकरों ने इसको अलग-थलग करने के लिए यह कदम उठाया है. हालांकि इसकी अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है. साथ ही रूस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है.
ट्रंप की जीत से अमेरिका समेत पूरी दुनिया हैरान
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव दखल और फिर अब कतर संकट में रूसी हैकिंग से दुनिया दंग है. इसके अलावा फ्रांस के राष्ट्रपति चुनाव में भी हैकिंग की वारदात को अंजाम देने की कोशिश की गई. हालांकि रूस हैकिंग के इन आरोपों को लगातार खारिज कर रहा है. वहीं, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का कहना है कि रूस ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दखल दिया और ट्रंप को जिताकर सबको हैरान कर दिया. चुनाव परिणाम आने के दिन तक लोगों को लग रहा था कि डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन चुनाव जीत रही हैं, लेकिन इससे उलट आए परिणाम ने लोगों को असहज कर दिया.
अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश भी नहीं कर पाया जवाबी हमला
राष्ट्रपति चुनाव के बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने मामले की जांच की, तो पाया कि रूस ने अमेरिकी चुनाव में दखल देकर ट्रंप को जिताया था. इसके बाद अमेरिका ने अपने यहां से रूसी राजनयिकों को निकाल दिया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. अमेरिका जैसा दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश भी इस साइबर हमले से न तो खुद को नहीं बचा पाया और न ही जवाबी कार्रवाई कर पाया.
हैकिंग से टेंशन में आई दुनिया
अब कतर संकट के लिए रूसी हैकिंग को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. FBI और कतर का मानना है कि रूसी हैकरों ने कतर की समाचार एजेंसी में घुसपैठ की और फिर फेक न्यूज चलाई, जिसके बाद सात देशों ने कतर से रिश्ता तोड़ लिया. एफबीआई और कतर की सुरक्षा एजेंसियां मामले की जांच कर रही हैं. हालांकि हैकिंग की इन घटनाओं ने दुनिया भर की टेंशन बढ़ा दी है. जर्मनी ने चुनाव में हैकिंग से खुद को बचाने के लिए खासी तैयारी की है. इसके अलावा 12 मई को ब्रिटेन के दर्जनों अस्पतालों के कंप्यूटर को हैकरों ने रैंजमवेयर के जरिए हैक कर लिया. इस सबसे बड़े साइबर हमले की चपेट में 99 देश आए थे. साइबर हमले ने लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए भी खतरा पैदा कर दिया है.
भारत भी चपेट में
साइबर हमले की चपेट में भारत भी है. हाल ही के दिनों में भारत सरकार की साइटों और आईआईटी जैसे संस्थानों की वेबसाइटों की हैकिंग की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. विपक्ष भी इस मसले को जोरशोर से उठा चुका है. ऐसे में भारत को साइबर सुरक्षा की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ाना चाहिए. अगर समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो मोदी सरकारी की डिजिटल इंडिया योजना खतरे में पड़ जाएगी.