भारतीय रिजर्व बैंक ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. पिछली तीन नीतिगत बैठकों में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखी है. पिछले साल अगस्त में रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर छह प्रतिशत किया गया था, जो इसका छह साल का निचला स्तर है.
छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की बैठक ऐसे समय में हुई है, जब सरकार ने जोर देकर कहा है कि 2017-18 के लिए राजकोषीय घाटा और राजस्व घाटा आम बजट के संशोधित अनुमान से कम रहेगा.
भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव न करते हुए इन्हें 6.0 फीसदी पर ही रखा है. आरबीआई ने 2018-19 की पहली छमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) 4.4-4.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. वही, दूसरी छमाही में इसके 4.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.
मजबूत होगी जीडीपी:
जीडीपी ग्रोथ को लेकर आरबीआई ने सकारात्मक रुख अपनाया है. 2017-18 के 6.6 फीसदी के मुकाबले 2018-19 में जीडीपी की रफ्तार 7.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.
आरबीआई ने कहा कि इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में यह 7.3 फीसदी से 7.6 फीसदी के बीच रह सकती है. इस दौरान इकोनॉमी के सामने खड़ी चुनौतियां भी संतुलित रहेंगी.
बिटकॉइन पर बड़ा एक्शन:
भारतीय रिजर्व बैंक ने बिटकॉइन पर लगाम कसने के लिए बड़ा फैसला लिया है. आरबीआई ने साफ किया है कि त्वरित प्रभाव से आरबीआई उन संस्थाओं, कारोबारियों और व्यक्तियों को कोई सेवा नहीं देगा, जो बिटकॉइन में डील करते हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि कोई भी संस्था जो फिलहाल बिटकॉइन से जुड़ा लेनदेन करती हो और वह आरबीआई से सेवाएं ले रही हो, तो उसे तय समय के भीतर अलग होना होगा. इस संबंध में अलग से सर्कुलर जारी किया जाएगा.
अंशधारकों की निगाह एमपीसी की बैठक पर थी. खुदरा मुद्रास्फीति में कमी और वृद्धि को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्रीय बैंक पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव है.
मौद्रिक नीति समिति की बैठक में 5 सदस्यों ने रेपो रेट में कोई बदलाव न करने को लेकर वोट किया. वहीं, सिर्फ एक सदस्य ने रेट में बदलाव की सिफारिश की.
बता दें कि अर्थव्यवस्था के स्तर पर बने हालातों को देखते हुए किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि आरबीआई इस बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव करेगा. इस तरह आम आदमी को भी फिलहाल उसके कर्ज में कोई बदलाव होता नहीं दिखेगा.
हाल ही में बढ़ा है डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन
आपको बता दें कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को जानकारी देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 10,02,607 करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले वित्त वर्ष से 18 फीसदी अधिक है.
जेटली ने कहा कि नोटबंदी और वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) से अर्थव्यवस्था को उच्चस्तर का नियमनिष्ठ (फॉरमलाइजेशन) बनाया है, जिससे प्रत्यक्ष कर राजस्व बढ़ा है और आयकर रिटर्न फाइलिंग में भी तेज बढ़ोतरी हुई है.