सर्विस से नहीं हैं खुश तो मोबाइल ऑपरेटर्स की तरह जल्द बदल सकेंगे डीटीएच..

सर्विस से नहीं हैं खुश तो मोबाइल ऑपरेटर्स की तरह जल्द बदल सकेंगे डीटीएच..

अगर आप अपने डीटीएच या फिर केबल टीवी ऑपरेटर की सर्विस से खुश नहीं हैं तो दो महीने बाद से इसको आसानी से पोर्ट कर सकेंगे। इसके लिए आपको नया सेट टॉप बॉक्स (एसटीबी) भी अलग से नहीं लेना पड़ेगा। दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) जल्द ही ऐसा करने के लिए नए नियम जारी करने जा रहा है। सर्विस से नहीं हैं खुश तो मोबाइल ऑपरेटर्स की तरह जल्द बदल सकेंगे डीटीएच..

 

अक्टूबर में शुरू हुआ था ट्रायल
ट्राई का सेट टॉप बॉक्स पोर्टेबिलिटी का ट्रायल सफल रहा है। बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में ट्रायल शुरू हुआ था। वहीं ट्राई ने फरवरी 2016 में डीटीएच या केबल सर्विस प्रोवाइडर के पोर्टेबिलिटी के लिए कंस्लटेशन शुरू किया था।

इसके लिए सीडॉट ने ट्रायल भी शुरू कर दिया है और 1 महीने के अंदर पोर्टेबिलिटी को लॉन्च किया जा सकता है। डीटीएच या केबल सर्विस प्रोवाइडर के पोर्टेबिलिटी को लागू करने से पहले ट्राई सभी स्टेकहोल्डर्स से मुलाकात भी करेगा।

ट्राई इस साल देगा बड़ा गिफ्ट

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का कहना है कि इस साल सेट टॉप बॉक्स (एसटीबी) के माध्यम से विभिन्न चैनल का मजा लेने वाले उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है। ट्राई इस बात की पूरी कोशिश कर रहा है कि इस साल से बिना सेट टॉप बॉक्स बदले उपभोक्ता अपने डीटीएच ऑपरटेर्स को बदल सके।

अभी बदलना पड़ता है एसटीबी
वर्तमान में उपभोक्ता अपने डीटीएच ऑपरेटर्स को बदलता है तो उसे अपने पुराने सेट टॉप बॉक्स को भी बदलना पड़ता है। मान लिजिए अगर कोई उपभोक्ता किसी भी डीटीएच सर्विस प्रोवाइडर की सर्विस से खुश नहीं है तो फिर उसे नया कनेक्शन और एसटीबी खरीदना पड़ता है। नया कनेक्शन लेने के लिए उसे कम से कम 1500 से लेकर के 2 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। 

ट्राई उपभोक्ताओं को हर बार नए सेट टॉप बॉक्स के झंझट से राहत दिलाना चाहता है। इस मामले में ट्राई ने डीटीएच कंपनियों के साथ बैठक भी की है। इस मामले पर कंपनियों के साथ विस्तृत चर्चा की गई और इससे जुड़े तकनीकी मुद्दों पर भी बात की गई।

ट्राई के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक बिना एसटीबी बदले ऑपरेटर्स बदलने का निदान लगभग निकल चुका है। गौरतलब है कि पिछले एक साल से भी अधिक समय से ट्राई की तरफ से इस मामले में उपभोक्ताओं को राहत देने की कोशिश की जा रही है, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है।

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