राज्य के कलाकारों के लिए भी सरकार ने फिल्मी दुनिया का रास्ता खोला है। वहीं नई लोकेशन पर शूटिंग करने वालों को पांच प्रतिशत अतिरिक्त, उस लोकेशन का नाम स्क्रीन पर दिखाने पर पांच प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी मिलेगी।
नई फिल्म नीति के तहत अब उत्तराखंड की खूबसूरत लोकेशन पर शूटिंग के साथ ही फिल्म में उसका नाम भी दिखाना होगा। इसी आधार पर सब्सिडी का लाभ मिलेगा। खास बात ये है कि फिल्म में स्थानीय कलाकारों, तकनीशियन को मौका देने वालों को सरकार अलग से 10 लाख रुपये देगी। इससे राज्य के कलाकारों को कॅरियर का मजबूत विकल्प मिलेगा।
फिल्म नीति में संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल 22 भाषाओं में फिल्म बनाने वालों को सरकार डेढ़ के बजाए तीन करोड़ और प्रोजेक्ट खर्च का अधिकतम 30 प्रतिशत सब्सिडी देगी। इसकी शर्त ये है कि 75 प्रतिशत शूटिंग उत्तराखंड में करनी होगी। उत्तराखंड की लोकेशन का नाम भी स्क्रीन पर दिखाना होगा।
क्षेत्रीय भाषाओं गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी फिल्में बनाने वालों को अब 25 लाख के बजाए दो करोड़ मिलेंगे। नई लोकेशन पर शूटिंग करने वालों को पांच प्रतिशत अतिरिक्त, उस लोकेशन का नाम स्क्रीन पर दिखाने पर पांच प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी मिलेगी।
विदेशी फिल्मों, जिनका बजट 50 करोड़ या इससे ऊपर हो, को तीन करोड़ या अधिकतम 30 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी। ओटीटी प्लेटफॉर्म, वेब सीरीज, टीवी सीरियल के न्यूनतम 22 एपिसोड बनाने वालों को भी फिल्मों की भांति सब्सिडी में शामिल कर लिया गया है। लघु फिल्म, डॉक्यूमेंट्री, ट्रैवलॉग, ब्लॉग, म्यूजिक वीडियो बनाने वालों को प्रोत्साहन राशि मिलेगी।
प्रतिभावान छात्रों को मिलेगी छात्रवृत्ति
जो छात्र एफटीआई पुणे, एसआरएफटीआई कोलकाता जैसे किसी फिल्म ट्रेनिंग संस्थान में कोर्स करेंगे, उन्हें सामान्य वर्ग को 50 प्रतिशत, एससी, एसटी, ओबीसी को 75 प्रतिशत छात्रवृत्ति सरकार देगी।
सिनेमा लगाने वालों को 25 लाख
पर्वतीय क्षेत्रों में सिनेमा ले जाने, प्रॉडक्शन स्टूडियो बनाने वाले और नए मोबाइल थियेटर लगाने वालों को 25 लाख रुपये मिलेंगे। प्रदेश में फिल्म, ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खोलने वालों को 50 लाख रुपये मिलेंगे।
इन 22 भाषाओं वाली फिल्मों को तीन करोड़ तक सब्सिडी
असमिया, उड़िया, उर्दू, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, गुजराती, डोगरी, तमिल, तेलुगू, नेपाली, पंजाबी, बांग्ला, बोड़ो, मणिपुरी, मराठी, मलयालम, मैथिली, संथाली, संस्कृत, सिंधी, हिंदी।