दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों ने सुस्त पड़े आंदोलन में तेजी लाने की नए सिरे से रणनीति तैयार की है। संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 मार्च को भारत बंद का एलान किया है। इस बार की बंदी पूरे दिन की होगी। योजना एक भी वाहन के सड़क पर न आने देने की है। दूसरी तरफ युवाओं को दुबारा आंदोलन से जोड़ने की कोशिश भी की जाएगी। इसका फैसला संयुक्त किसान मोर्चा की बुधवार दोपहर बाद बैठक में किया गया। इसमें किसान संगठनों का जोर आंदोलन को दुबारा तेज करने का रहा।
मीडिया को इसकी जानकारी देते हुए बुधवार को किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि इस बार भारत बंद के दौरान किसानों के ट्रैक्टर भी नहीं चलेंगे। सरकार और उससे जुड़े लोग लगातार इस बात का प्रचार कर रहे हैं कि किसान आंदोलन कमजोर पड़ गया है और अब किसान आंदोलनों में लोग नहीं आ रहे हैं। बूटा सिंह ने कहा कि ऐसे लोगों को बताने के लिए कि किसानों का आदोलन अभी जीवित है, भारत बंद का आह्वान किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत बंद शांतिपूर्ण ढंग से किया जाएगा। इस बार सड़क पर एक भी वाहन नहीं होगा। यहां तक कि किसान के ट्रैक्टर भी बंद रहेंगे।
बूटा सिंह ने बताया कि जिस तरह 8 मार्च को देशभर की महिलाओं ने सभी किसान आंदोलन स्थलों पर जुटकर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया, उसी तरह संयुक्त किसान मोर्चा ने 15 मार्च से 28 मार्च तक का अपना कार्यक्रम सुनिश्चित किया है। बूटा सिंह ने बताया कि जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं या चुनाव होने वाले हैं वहां पर संयुक्त किसान मोर्चा अपने मंच लगाएगा और लोगों को बीजेपी के खिलाफ वोट देने की अपील करेगा।
.15 मार्च को डीजल, पेट्रोल, गैस सिलिंडर की कीमत वृद्धि और रेलवे निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन होंगे। एसडीएम, डीसी को ज्ञापन दिया जाएगा।
.17 मार्च को आल इंडिया ट्रेड यूनियन सिंघु बॉर्डर पर मीटिंग में हिस्सा लेंगे और भारत बंद पर फैसला करेंगे।
.19 मार्च को किसान खेती बचाओ-मंडी बचाओ दिवस मनाएंगे, सभी मंडियों में पहुंचकर प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे।
.23 मार्च को शहीदे आजम भगत सिंह का बलिदान दिवस मनाएंगे।
.26 मार्च को किसान आंदोलन के चार महीना पूरा होने पर भारत बंद का आह्वान किया जा रहा है।
.28 मार्च को होलिका दहन में पूरे भारत के अंदर तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई जाएंगी।
टीकरी बॉर्डर पर किसानों ने गर्मी और बरसात से पहले पक्का निर्माण शुरू कर दिया है। बुधवार को मेट्रो के पिलर संख्या- 755 के नजदीक ईंट व सीमेंट से एक पक्की झोपड़ी बनाई है। किसानों ने बताया कि इसका इस्तेमाल किसान आंदोलन के कार्यालय के तौर पर किया जाएगा। लेकिन साथ में यह भी बतया कि जल्द ही यहां पर इस तरह और भी पक्के निर्माण किये जाएंगे। किसानों ने कहा कि सर्दियों में बरसात के कारण उनको परेशानी का सामना करना पड़ा था। ऐसे में बरसात के मौसम से निपटने के लिये अस्थाई लेकिन पक्की झोपड़ियां बनाई जाएंगी। किसानों ने कहा कि जबतक सरकार उनकी बात नहीं मानती, तबतक वह यहां से नहीं जाएंगे।