15 अगस्त को जब चेन्नई में थलाइवा महेंद्र सिंह धौनी (नेतृत्वकर्ता) और चिन्ना थाला सुरेश रैना (थलाइवा का दाहिना हाथ) ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अचानक संन्यास की घोषणा की तो सबके दिमाग में एक ही सवाल गूंज रहा था कि दोनों ने इसके लिए स्वतंत्रता दिवस को ही क्यों चुना और एक साथ ही ऐसा क्यों किया। इसका रहस्योद्घाटन रविवार को खुद सुरेश रैना ने दैनिक जागरण से किया।
18 टेस्ट, 226 वनडे और 78 टी-20 खेलने वाले रैना ने कहा कि हम दोनों ने पहले से ही शनिवार को संन्यास लेने की योजना बना ली थी। धौनी की जर्सी का नंबर 7 है और मेरी जर्सी का नंबर 3, दोनों मिलाकर 73 होते हैं। शनिवार को भारत की स्वतंत्रता के 73 वर्ष पूरे हुए तो हमने सोचा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से विदा लेने का इससे बेहतर दिन और कोई नहीं हो सकता।
धौनी ने 23 दिसंबर 2004 को बांग्लादेश के खिलाफ चटगांव में तो मैंने 30 जुलाई 2005 को श्रीलंका के खिलाफ दांबुला में पहला अंतरराष्ट्रीय वनडे खेला था। हम दोनों का करियर 15-16 साल का रहा। हमने लगभग एक साथ ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना शुरू किया। चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) में हमेशा साथ रहे तो अब संन्यास भी साथ लिया और आगे आइपीएल भी साथ खेलते रहेंगे।
दायें हाथ के बल्लेबाज धौनी और बायें हाथ के बल्लेबाज रैना को क्रिकेट का जय-वीरू कहा जाता है। रैना ने कहा कि मुझे पता था कि माही चेन्नई में संन्यास की घोषणा के लिए ही आ रहे हैं तो मैंने भी खुद को पूरी तरह से तैयार कर लिया। मैं सीएसके के चार्टर्ड प्लेन से 14 अगस्त को पीयूष चावला, दीपक चाहर और कर्ण शर्मा के साथ रांची पहुंचा। वहां से माही भाई और मोनू सिंह हमारे साथ हो लिए। हम सब चेन्नई पहुंचे। 15 को हमने संन्यास की घोषणा कर दी। इसके बाद आपस में गले मिलकर रोए और रात में खूब पार्टी की।
सुरेश रैना ने बताया, “अब हम आइपीएल खेलेंगे ताबड़तोड़ तरीके से। हर गेंद पर अब खुलकर छक्के लगेंगे।” भविष्य के सवाल पर रैना ने कहा कि अभी आगे दो आइपीएल हैं। उसका प्रदर्शन आगे का रास्ता तय करेगा। 2011 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रैना से जब पूछा कि धौनी ने क्या कहा? तो उन्होंने बताया कि हम दोनों, पीयूष चावला, अंबाती रायुडू, केदार जाधव और कर्ण शर्मा साथ बैठे। खूब मजे किए। एक-दूसरे से बात की कि हमारे करियर में क्या सर्वश्रेष्ठ था। हमने साथ में कैसा साथ बिताया। आज या कल सभी को जाना तो है ही। हमें कुछ नहीं चाहिए, हमें तो बस सम्मान चाहिए।