यूपी में कोरोना वायरस जमकर कहर बरपा रहा है। मंगलवार को मुख्यमंत्री कार्यालय के कई अफसरों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद को आइसोलेट कर लिया तो बुधवार सुबह सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके अलावा, यूपी के कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन भी कोरोना पॉजिटिव हो गए।
बता दें कि मंगलवार शाम को आई रिपोर्ट में कोरोना संक्रमितों की संख्या ने रिकॉर्ड तोड़ दिया और पूरे प्रदेश मे 18 हजार से ज्यादा संक्रमित पाए गए हैं जिसे देखते हुए भाजपा सांसद कौशल किशोर ने कहा कि इस समय पंचायत चुनाव नहीं बल्कि लोगों की जान बचाना सरकार के लिए जरूरी होना चाहिए। उन्होंने पंचायत चुनाव स्थगित करने की मांग की है।
उन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग से पंचायत चुनाव की तारीख एक महीने बढ़ाने की मांग की है। मोहनलालगंज से सांसद कौशल किशोर ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि लखनऊ में कोविड-19 नियंत्रण से बाहर है। श्मशान घाटों पर लाशों के ढेर लगे हैं। चुनाव जरूरी नहीं है लोगों की जान बचाना जरूरी है। बता दें कि यूपी में सर्वाधिक कोरोना मरीज लखनऊ में पाए जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के विधि एवं न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक ने लखनऊ में चिकित्सा व्यवस्थाओं को चिंताजनक बताया है। उन्होंने कहा कि कोरोना की जांच रिपोर्ट मिलने में चार से सात दिन का समय लग रहा है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी दफ्तर से मरीजों को भर्ती की स्लिप भी दो-दो दिन में मिल रही है। इतना ही नहीं, एक बार फोन करने पर एंबुलेंस भी 5-6 घंटे में पहुंच रही है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को लिखे पत्र में पाठक ने चेताया है कि अगर कोरोना की स्थिति को नियंत्रित नहीं किया गया तो लखनऊ में लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है।
पाठक ने सोमवार को लिखे पत्र में कहा कि बीते एक सप्ताह से पूरे लखनऊ से उनके पास मरीजों और उनके परिजनों के फोन आ रहे हैं, जिन्हें समुचित इलाज नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लखनऊ में प्रतिदिन चार से पांच हजार मरीजों की तुलना में अस्पतालों में बेड की संख्या बहुत कम है।
निजी पैथोलॉजी में कोविड की जांच बंद करा दी गई है, जबकि सरकारी अस्पतालों में जांच रिपोर्ट मिलने में कई दिन लग रहे है। लखनऊ में रोजाना 17 हजार जांच किट चाहिए, लेकिन मात्र 10 हजार किट ही उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि सीएमओ दफ्तर में फोन करने पर अक्सर फोन नहीं उठता है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री से इसकी शिकायत के बाद सीएमओ फोन तो उठाते हैं, लेकिन सकारात्मक कार्य नहीं होता है।