वैज्ञानिकों का मानना है कि लंबे समय से बनी यह धारणा कि जैविक माता-पिता की तुलना में सौतेले पिता मातापिता बच्चों से दुव्र्यवहार या उनकी हत्या के लिए ज्यादा उत्तरदायी होते हैं, एक मिथक हो सकता है। ब्रिटेन में ईस्ट एंग्लिया यूनिवर्सिटी (यूईए) के शोधकर्ताओं का कहना है कि सौतेले पिता और जैविक पिता द्वारा बच्चों की हत्या के मामलों में काफी कम अंतर है। ऐसे में इसे जैविक संबंधों के जरिये समझा नहीं जा सकता है। अध्ययन में पाया गया है कि इन अपराधों को अंजाम देने वालों की उम्र का ज्यादा प्रभाव देखा गया, न कि इसका कि बच्चे का पिता सौतेला है या जैविक।
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने 2000 से 2015 के बीच ब्रिटिश गृह विभाग से उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण किया और इसकी तुलना इसी अवधि के दौरान विस्तृत जनसंख्या पर किए गए तीन बड़े सर्वेक्षणों से की गई। जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल साइकोलॉजी में प्रकाशित उनके निष्कर्ष, तथाकथित ‘सिंड्रेला इफेक्ट’ पर संदेह जताते हैं। सिंड्रेला इफेक्ट 19वीं सदी के सातवें दशक में मनोवैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तावित एक सिद्धांत है, जो बताता है कि सौतेले-संबंधों और बाल शोषण या बाल हत्या के बीच सीधा संबंध है।
इस सिद्धांत के समर्थकों का दावा है कि सौतेले पिता को अपने माता-पिता से मिले संसाधनों को ऐसे बच्चों को देने की बाध्यता नहीं होती जिस कारण वे इनसे दुव्र्यवहार करते हैं। यहां तक कि वे इनकी हत्या भी करने से नहीं हिचकते हैं। हालांकि, बाल हत्या के पिछले अध्ययनों में केवल 0 से 5 साल के बच्चों के आंकड़ों का ही अध्ययन किया गया है।
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