बृहदारण्य उपनिषद में सूर्य से प्रार्थना की गई है- असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय..। हे प्रकाशपुंज, हमें असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो..। व्यक्ति और समाज के निर्माण में शिक्षक की भूमिका भी यही है। आगामी शिक्षक दिवस (05 सितंबर) के उपलक्ष्य में हम दायित्व बोध से भरे ऐसे ही समर्पित शिक्षकों की प्रेरक गाथाएं प्रस्तुत करने जा रहे हैं, जो हमारे लिए प्रकाशपुंज हैं।
वाराणसी के रहने वाले गोविंद आज बतौर आइएएस गोवा में पदस्थ हैं। उनके पिता ने रिक्शा चलाना छोड़ दिया है। मात्र परिवार ही नहीं वरन पीढ़ियों को गरीबी के घने अंधकार से मुक्ति मिल गई है। उन्हें उन्नति के सुनहरे प्रकाश की ओर ले जाने वाली कोई और नहीं, वरन एक समर्पित शिक्षिका हैं, डॉ. संगीता श्रीवास्तव।
भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हो गोविंद इन दिनों गोवा में सचिव, विजिलेंस, स्वास्थ्य व खेल विभाग के तौर पर सेवा दे रहे हैं। वह बताते हैं कि उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने में बनारस के हरिश्चंद्र डिग्री कॉलेज की शिक्षका डॉ. संगीता श्रीवास्तव का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। डॉ. संगीता सहित कॉलेज के कुछ अन्य शिक्षकों ने गोविंद की प्रतिभा को देखते हुए अतिरिक्त समय और जरूरत के अनुरूप हर तरह की सहायता कर उसे पढ़ाया, आगे बढ़ाया और प्रतियोगी परीक्षा के लिहाज से प्रशिक्षण मुहैया कराया। नतीजा सामने है। आइएएस गोविंद जायसवाल अपनी इस बड़ी सफलता का श्रेय अपने इन गुरुओं को देते हैं।
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