शहीद के पिता का दर्द छलका- मनरेगा में मिट्टी ढोकर बेटे को फौज में भेजा था

राजस्थान के जवान रोहिताश लांबा के घर इन दिनों लोगों की आमद बढ़ गई है. भरी जवानी में बेटे की शहादत से पिता बाबूलाल टूट गए हैं. तन्हाई में खामोश बैठे रहते हैं. घर पर लगने वाले नारे रोहिताश लांबा अमर रहे से उनका ध्यान टूटता है तो फफक पड़ते हैं. बिना कुछ बोले उनकी डबडबायी आंखें लोगों से सवाल करती है मेरे बेटे की क्या गलती थी? मेरे बेटे के हत्यारों को सजा कब मिलेगी?

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले ने कई परिवार को जिंदगी भर ना भूल पाने वाला गम और गुस्सा दे दिया. इस घटना को 10 दिन हो गए. 14 फरवरी हुए बुजदिल दहशतगर्दों के इस कायराना हमले में 40 जवान वीरगति को प्राप्त हुए. इन्हीं जवानों में शामिल थे राजस्थान के रोहिताश लांबा. बेहद गरीबी में पले-बढ़े रोहिताश को CRPF की वर्दी पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी. रोहिताश के पिता कहते हैं कि मनरेगा में मिट्टी ढोकर उन्होंने बेटे को पढ़ाई के लिए पैसे भेजे. अगर सरकार इस हमले का बदला नहीं लेती है तो सरकार से उनका भरोसा टूट जाएगा.

दरअसल बाबूलाल ने बेहद गरीबी में अपने दोनों बच्चों को पाला है. बेटे की कमाई पर बुढ़ापा गुजारने का सपना संजोये बाबूलाल बताते हैं कि रोहिताश को पढ़ने में अच्छा था. उसकी पढ़ाई में पैसों की किल्लत बाधा ना बने इसलिए वो दिनभर मजदूरी करते. बाद में बाबूलाल का मनरेगा में जॉब कार्ड बन गया. यानी दिहाड़ी को गारंटी हो गई तो उन्होंने बेटे को पास के शहर चोमू में पढ़ने भेज दिया. बाबूलाल बताते हैं, “मैंने कहा कस्बे में जाकर पढ़ाई कर मैं मनरेगा में मिट्टी ढोकर पैसे भेजूंगा.” देश सेवा में जाने की उसके जज्बे को याद करते हुए बाबूलाल बताते हैं कि एक बार एक ही दिन उसकी दो परीक्षाएं थी तो उसने सेना की भर्ती में जाना तया किया.

रोहिताश का छोटा भाई जितेन्द्र 4 साल बड़े भैया रोहिताश को यादकर बिलख उठता है. जितेन्द्र कहता है कि बड़े भाई साब उनके लिए भाई नहीं बल्कि पिता समान थे. जितेन्द्र बताता है कि भैया ने नौकरी लगने के बाद ना सिर्फ घर बनवाया बल्कि बीए तक उसकी पढ़ाई भी करवाई. जितेन्द्र को भाई की सलाह अब भी याद आती है. वो बताता है कि जब भी वह छुट्टी में घर आता तो उससे कहता तू बैठा-बैठा मोटा हो रहा है, दौड़-धूप कर और सेना में भर्ती हो जा.

रिपोर्ट के मुताबिक रोहिताश की शादी के ज्यादा साल नहीं गुजरे हैं. 2 महीने पहले ही एक उन्हें एक बेटा हुआ था. घर में सब बेहद खुश थे. तभी पाकिस्तान में बैठे दहशतगर्दों की कारस्तानी ने इस परिवार की सारी खुशियां छीन ली है. 10 दिन गुजर जाने के बाद भी पत्नी को बेहोशी के दौरे आते हैं. उनकी तबीयत नाजुक है, लोग सहारा देते हैं तभी बैठ पाती है. मां का रो-रोकर आधी रह गई है. आंखें सूख गई है. बहू और नन्हें पोते को देख मां की चित्कार से वहां मौजूद लोगों का कलेजा मुंह को आ जाता है.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com