गोकर्ण स्थित श्री रामचंद्रपुरा मठ के श्रीमद जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री राघवेश्वर भारती स्वामी के खिलाफ दुष्कर्म के मामले को खारिज करते हुए कहा कि कथित घटना की शिकायत करने में नौ वर्ष की देरी को लेकर शिकायतकर्ता के पास कोई सही स्पष्टीकरण नहीं था।
मठ की एक पूर्व शिष्या ने शंकराचार्य पर लगाए आरोप
मठ की एक पूर्व शिष्या ने आरोप लगाया था कि 2006 में 15 वर्ष की आयु और फिर 2012 में 21 वर्ष की आयु में हिंदू संत ने दो बार उसके साथ दुष्कर्म किया।
स्वामी ने एक ट्रायल कोर्ट द्वारा इस संबंध में की गई पूरी कार्यवाही को चुनौती देते हुए इसे रद करने की मांग संबंधी एक याचिका 2021 में हाई कोर्ट के समक्ष दायर की थी। जस्टिस एम नागप्रसन्ना की पीठ ने इस संबंध में आदेश जारी किया।
याचिकाकर्ता के खिलाफ पूरी कार्यवाही प्रभावित
आदेश में कहा गया कि आरोप पत्र को लेकर बेंगलुरु के प्रथम अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित कार्यवाही समेत सभी कार्यवाही को रद किया जाता है।
आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ पूरी कार्यवाही प्रभावित है। मामले में आगे के ट्रायल की अनुमति देना निस्संदेह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और न्याय की विफलता होगी। इस मामले में मजिस्ट्रेट द्वारा दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया गया।
महिला ने स्वामी जी पर लगाए गंभीर आरोप
आरोप-पत्र सीआइडी अधिकारी ने दाखिल किया है, जिसे इसका अधिकार नहीं था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि 2006 में स्वामी जी ने अपने कमरे में भगवान का डर दिखाकर उसका यौन उत्पीड़न किया और किसी को बताए जाने पर पाप लगने की बात कही। इसके बाद स्वामी जी द्वारा मठ के ही एक सदस्य से उसकी शादी तय कर देने के बाद उसके साथ दुष्कर्म किया गया।
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