इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि संपत्ति पर स्वामित्व व कब्जे का सिविल वाद विचाराधीन है तो धारा 145 दंड प्रक्रिया संहिता की समानांतर आपराधिक कार्यवाही नहीं चल सकती। इसी के साथ कोर्ट ने वृंदावन मथुरा श्री बांके बिहारी कालोनी, राधा-रानी अन्न क्षेत्र स्थित हरि निकुंज आश्रम के कब्जा विवाद पर धारा 145 के तहत सिटी मजिस्ट्रेट के प्रारंभिक आदेश चार फरवरी 21 को रद कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश पाठक ने अमन दीप सिंह सिसोदिया की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याची का कहना था कि जब संपत्ति को लेकर पंचायती अखाड़ा निर्मल व हरि निकुंज आश्रम के बीच सिविल वाद लंबित है तो उसी संपत्ति के कब्जे को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 145 में समानांतर कार्यवाही नहीं चलाई जा सकती। मालूम हो कि पुलिस रिपोर्ट पर सिटी मजिस्ट्रेट ने प्राथमिक आदेश पारित कर संपत्ति कुर्क कर ली और दोनों पक्षों को अपना कब्जे का दावा पेश करने के लिए सम्मन किया।
मूल वाद में अंतरिम व्यादेश न मिलने पर एक पक्ष ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। कोर्ट ने अर्जी तय करने का निर्देश देते हुए दो माह तक यथास्थिति का आदेश दिया था। इसी बीच धारा 145 की कार्यवाही की गई जो कानून के खिलाफ है। हालांकि कि नौ सितंबर 21 को अधीनस्थ अदालत ने अंतरिम व्यादेश की अर्जी निरस्त कर दी, जिसे चुनौती दी गई है। विपक्षी आदर्श पाल गुप्ता का कहना था कि सिविल वाद के साथ-साथ कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए कब्जा तय करने की धारा 145 की कार्यवाही चल सकती है, किंतु कोर्ट ने इसे अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया।