जीवन में अक्सर हादसे का शिकार होने वाले कई लोग टूट जाते हैं तो कई लोग उसे अपनी ताकत बना लेते हैं। चार साल की छोटी सी उम्र में 11 हजार वोल्ट का करंट लगने से दोनों हाथ और एक पैर गंवाने वाली फतेहपुर की सरिता द्विवेदी ने अपने साथ घटी उस घटना को ही अपनी ताकत बना लिया है।
मौजूदा समय में एलिम्को में कार्यरत सरिता को बिना हाथ के कंप्यूटर और मोबाइल चलाते देखकर हर कोई हैरत में पड़ जाता है। उस हादसे के बाद वह जीवन से निराश नहीं हुई। उन्होंने मुंह की मदद से ब्रश थामा और अपने सपनों में रंग भरने लगी। इस हुनर की बदौलत उन्हें राष्ट्रपति ने सम्मानित किया।
यहीं नहीं सरिता ने प्रयागराज से दसवीं और इंटर किया। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से 2015 में फाइन आर्ट से स्नातक की पढ़ाई भी पूरी की। रिटायर फौजी विजयकांत द्विवेदी की बेटी सरिता को स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) में रिसेप्शनिस्ट व हाउस कीपिंग इंचार्ज की नौकरी मिल गई।
अब वह मोटराइज व्हीलचेयर पर बैठकर टेलीफोन ऑपरेटिंग, कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल पर फटाफट अपने काम निपटाती हैं वह भी बिना हाथ के। इसके साथ वह पेंटिंग भी बनाती हैं और लिखती-पढ़ती भी है।
वर्ष 2005 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम से ‘बालश्री अवार्ड’ के साथ कई नेशनल व इंटरनेशनल अवार्ड मिल चुके हैं।
– वर्ष 2009 में उन्हें मिनिस्ट्री ऑफ इजिप्ट ने इंटरनेशनल अवार्ड मिला था।