केंद्र सरकार ने टेस्ला और ग्लेक्सोस्मिथलाइन पीएलसी समेत विश्व की 324 कंपनियों को देश के अंदर निवेश करने का न्योता भेजा है। ज्यादातर कंपनियों की फैक्ट्रियां चीन में मौजूद हैं, जो अमेरिका के साथ चल रहे व्यापार युद्ध से प्रभावित हो गई हैं। हालांकि यह कंपनियां भारत आने से कतरा रही हैं, क्योंकि जमीन खरीदने से लेकर अन्य जरूरतों के लिए आसानी से काम नहीं होते हैं।
सरकार ने जो प्रस्ताव तैयार किया है, उसके मुताबिक इन कंपनियों को फैक्ट्री स्थापित करने के लिए आसानी से जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ ही वहां पर कंपनियों को सड़क, बिजली और पानी की सुविधा भी मिलेगी। टेस्ला और ग्लेक्सो के अलावा इली लिली एंड कंपनी, दक्षिण कोरिया की हनवा केमिकल्स कॉर्पोरेशन और ताइवान की होन हाई प्रेसिशन इंडस्ट्री कंपनी शामिल है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, व्यापार युद्ध से फिलहाल वियतनाम और मलयेशिया जैसे देशों को फायदा पहुंच रहा है। भारत आने से कंपनियां कतरा रही हैं। डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड एंड इंवेस्ट इंडिया के द्वारा तैयार प्रस्ताव के अनुसार लालफीता शाही को खत्म करने के मकसद से ऐसा किया जा रहा है। इसका मकसद है कि देश के अंदर विदेशी निवेश को बढ़ाया जाए। इससे विकास दर में भी इजाफा होगा, जो फिलहाल छह सालों के सबसे निचले स्तर पर चली गई है।
इस योजना के अंतर्गत सरकार रेडी-टू-मूव औद्योगिक क्लस्टर के लिए एक भूमि बैंक तैयार करेगी, साथ ही निवेश और लोकेशन आधारित रियायतों और एंटी डम्पिंग शुल्कों में बदलाव की भी पेशकश करेगी। इस प्रस्ताव में प्लग-इन और हाइब्रिड वाहनों, ईंधन कुशलता और कार्बन टैक्स के लिए रियायत भी शामिल हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार क्षेत्र के लिए लचीले रोजगार, निवेश से जुड़े विनिर्माण संबंधित प्रोत्साहन और मूल्य वर्धन की इच्छा भी जाहिर की गई है।