वियाग्रा से नहीं मिलता सेक्‍स लाइफ में ज्यादा मजा…

वियाग्रा लेने के बावजूद भी प्रतिभागियों की सेक्‍स लाइफ और साथी के साथ रिश्‍ते में कोई बदलाव नहीं आया है. सेक्‍स पावर बढ़ाने वाली वियाग्रा या ऐसी ही दूसरी दवाओं से पुरुषों को कुछ खास फायदा नहीं मिलता है और साथी के साथ उनके रिश्‍ते में भी कोई बदलाव नहीं आता है. इस बात का खुलासा एक रिसर्च से हुआ है. वियाग्रा से पुरुषों की जिंदगी में आए बदलावों को जानने के लिए वैज्ञानिकों ने 40 क्‍लीनिकल ट्रायल किए. शोध में शामिल प्रतिभागियों ने वियाग्रा लेने से पहले बताया कि पार्टनर के साथ उनका रिश्‍ता तो ठीक है, लेकिन उन्‍हें सेक्‍शुअल संतुष्टि नहीं मिल पाती है. इनमें से ज्‍यादातर पुरुष अवसादग्रस्‍त भी थे.


दवा से शारीरिक दिक्‍कतें तो दूर हो जाती हैं, लेकिन मनोवैज्ञानिक रुकावटें बनी रहती हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर के डॉक्‍टर एंड्रयू क्रैमर कहते हैं, ‘खुशियां बहुत जटिल हैं. ज्‍यादातर कपल्‍स को सेक्‍स थेरेपी की जरूरत है.’

शारीरिक कमजोरी या नपुंसकता का नकारात्‍मक प्रभाव सेक्‍स ना कर पाने की नाकामी से कहीं ज्‍यादा पुरुषों को भावनात्‍मक और मनोवैज्ञानिक रूप से ज्‍यादा परेशान करता है. ऐसे में जो इलाज शारीरिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को छुए, वहीं पुरुषों के लिए सही है.

हालांकि 60 साल की उम्र के लगभग 65 फीसदी पुरुष नपुंसकता के शिकार हो जाते हैं. और 40 की उम्र तक आते-आते 40 फीसदी पुरुष इस समस्‍या का सामना करते हैं.

स्‍पायर लिवरपूल अस्‍पताल में सेुक्‍शुअल हेल्‍थ विशेषज्ञ डॉक्‍टर अरुण घोष कहते हैं, ‘इनमें से ज्‍यादातर पुरुष 40 के होने और पेट के आसपास चर्बी के कारण टेस्टास्टरोन डिफिशंसी सिंड्रोम के शिकार होने लगते हैं, जिससे टेस्टास्टरोन लेवल गिरने लगता है. नतीजतन सेक्‍स के प्रति इच्‍छा खत्‍म होने लगती है. जब आप 40 के हो जाएं और आपको ऐसे लक्ष्‍ण दिखाई देने लगें तो खून की जांच कराना बेहतर है.’

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डॉक्‍टर घोष के मुताबिक सेक्‍स की इच्‍छा के खत्‍म होने का मनोवैज्ञानिक कारण भी है. उन्‍होंने कहा, ‘अगर आपने एक बार भी इस परेशानी का सामना किया होता है तो आप हमेशा इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि कहीं ऐसा दोबारा ना हो जाए. इसलिए यह जरूरी है कि पुरुषों का मनोवैज्ञानिक रूप से भी इलाज किया जाए और उन्‍हें सेक्‍शुअल काउंसलिंग या थेरेपी भी दी जाए.’

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