मॉन्ट्रियल (कनाडा): विमान में अकेले उड़ान भर दुनिया के पूरे गोले का चक्कर लगाने वाली सबसे छोटी उम्र की महिला बनने के इरादे से निकली अफगानिस्तानी पायलट ने सोमवार को अपनी यात्रा का ट्रांस-अटलांटिक हिस्सा शुरू किया… सोवियत युद्ध के अंतिम दिनों के दौरान अफगानिस्तान में एक शरणार्थी शिविर में जन्मी और फिर 1987 में परिवार के साथ अमेरिका आकर बस गई 29-वर्षीय शाइस्ता वाइज़ (Shaesta Waiz) ने छोटी उम्र में ही उड़ने का ख्वाब पाल लिया था, और जिस वक्त उसने उड़ने का लाइसेंस हासिल किया, वह सबसे छोटी उम्र की सर्टिफाइड सिविलियन महिला पायलट बनी…
अब शाइस्ता वाइज़ का इरादा ज़मीन से कहीं ऊपर उड़कर होने वाले आज़ादी के एहसास को अन्य युवतियों के साथ बांटने की इच्छुक है… अपनी उड़ान के दौरान मॉन्ट्रियल में कुछ देर रुकी शाइस्ता ने कहा, “जब मुझे अपनी चाहत – उड़ान – का एहसास हो गया, मैंने खुद को ही चुनौती देना शुरू कर दिया… मैंने पढ़ना भी शुरू किया… गणित में मेरा प्रदर्शन बेहतर हो गया… मैंने दुनिया को अलग नज़रिये से देखना शुरू किया… आसमान को भी अलग ही नज़र से देखने लगी… सबसे अहम है कि आप अपनी चाहत का पता लगा लें, और फिर उसी दिशा में बढ़ते रहें…”
शाइस्ता वाइज़ ने शनिवार को अमेरिका के फ्लोरिडा में डेटोना बीच से उड़ान भरी थी, और अपने बीचक्राफ्ट बोनान्ज़ा ए36 विमान में वह लगभग 25,800 किलोमीटर (16,000 मील) का रूट बनाकर निकली है, और उसके रास्ते में 18 मुल्क आएंगे, जिनमें स्पेन, मिस्र, भारत, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं… शाइस्ता वाइज़ का सफर इस साल अगस्त में फ्लोरिडा लौटने पर पूरा होगा…
इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि हासिल कर चुकी शाइस्ता वाइज़ अपनी उड़ान के दौरान 30 बार रुकेंगी, और शाइस्ता की इस उड़ान को सहायता दे रहा अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (International Civil Aviation Organization या इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइज़ेशन या आईसीएओ) हर जगह स्कूली बच्चों की विज्ञान, विशेषकर एयरोनॉटिक्स में रुचि जाग्रत करने के उद्देश्य से कार्यक्रम आयोजित करेगा…
आईसीएओ के आंकड़ों के मुताबिक कमर्शियल पायलटों में महिलाओं की तादाद पांच फीसदी से भी कम है… शाइस्ता वाइज़ का कहना है, “अगर आप विज्ञान, तकनीकी, इंजीनियरिंग और गणित में मेहनत करते हैं, और फिर देखने की कोशिश करें कि ये आपके करियर में किस तरह योगदान दे सकते हैं, तो बेहद उत्साहजनक अवसर दिखाई देते हैं…”
शाइस्ता ने कहा, “हमें उम्मीद है कि इन कार्यक्रमों के दौरान हम छोटे बच्चों को दिखा सकेंगे कि ये करियर उनके लिए क्या-क्या ला सकते हैं… और उम्मीद की जा सकती है कि वे इन्हीं करियरों को अपनाएं, क्योंकि यहां भी काबिल लोगों की ज़रूरत है…”
शाइस्ता वाइज़ के गैर-लाभकारी संगठन ‘ड्रीम्स सोर’ की वेबसाइट पर वह लिखती हैं, “जब भी मैं किसी विमान का दरवाज़ा खोलती हूं, मैं खुद से पूछती हूं – मेरी पृष्ठभूमि वाली कोई भी लड़की इतनी खुशकिस्मत कैसे हो सकती है…? लेकिन सच्चाई यह है कि कोई भी ‘मैं’ बन सकता है…”