संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर यूरोपियन यूनियन (ईयू) के रुख पर चिंता और नाराजगी जताते हुए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, भारत के आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है।
सीएए पूरी तरह से भारतीय संसद और सरकार के अधिकार क्षेत्र से जुड़ा मामला है। दरअसल, यूरोपीय संसद ने ईयू के कुछ समूहों द्वारा छह प्रस्तावों पर चर्चा को मंजूरी दी है। इन प्रस्तावों में दावा किया गया है कि सीएए अल्पसंख्यक समुदाय की नागरिकता छीनने के लिए लाया गया है।
एक किताब के विमोचन के दौरान नायडू ने कहा विदेशी संस्थाओं का किसी देश के आंतरिक मामले में दखल देना चिंता की बात है। हमें यह देखना होगा कि इस कानून पर देश की संसद के दोनों सदनों ने मुहर लगाई है।
यह विशुद्ध रूप से भारत का आंतरिक मामला है। इसमें किसी बाहरी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है। इससे पहले रविवार को भी भारत ने इन प्रस्तावों पर गहरी नाराजगी जाहिर की थी। भारत ने कहा कि यह भारत और भारतीय संसद के अधिकार क्षेत्र का मामला है। देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप से किसी दूसरे पक्ष को बचना चाहिए।
भारत सरकार के मुताबिक सीएए नागरिकता छीनने का नहीं बल्कि नागरिकता प्रदान करने का कानून है। वहीं कांग्रेस ने इस पर केंद्र सरकार का घेराव किया है। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा, केंद्र सरकार विदेश नीति में विफल हुई है।
उन्होंने कहा, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, कभी सोचा नहीं था कि भारत के आंतरिक मामले पर यूरोपीय यूनियन में चर्चा होगी। यह देश के लाखों लोगों के विरोध का नतीजा है, जिसको सरकार लगातार नजरंदाज कर रही है। इस तरह केंद्र सरकार ने इस मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण कर दिया है।
ईयू ने इससे पहले जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने पर सवाल उठाया था। भारत ने तब भी ईयू के रुख से आपत्ति जताई थी। इसके बाद भारत ने अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका समेत कई देशों के राजनयिकों के एक समूह को हालात का जायजा लेने के लिए जम्मू कश्मीर का दौरा कराया था।