बच्चे देश का भविष्य होते हैं. और उनका भविष्य उनकी पढ़ाई में होता है. वे कितनी अच्छी पढ़ाई करते हैं और कितना ज्ञान अर्जित करते हैं उसपर निर्भर करता है.

ऐसे में हमें किसी भी तरह की कमी नहीं छोड़नी चाहिए और हर कोशिश करनी चाहिए कि वे अच्छे से अपनी पढ़ाई कर पाएं. वास्तु शास्त्र में भी बच्चे की पढ़ाई के लिए की कुछ उपाय बताए गए हैं जिसका पालन करने से वास्तु दोष नहीं रहता है. आइए जानते हैं बच्चों के पढ़ने का कमरा वास्तु के अनुसार कैसा होना चाहिए.
वास्तु शास्त्र के नियम के अनुसार घर में बच्चों का कमरा दक्षिण, नैऋत्य या आग्नेय में नहीं होना चाहिए। वास्तु में बच्चों के कमरे के लिए पूर्व, उत्तर या वायव्य दिशा शुभ मानी गई है। बच्चों के कमरे का रंग भी ध्यान से चुनना चाहिए।
बच्चों की जन्मपत्रिका में लग्नेश, द्वितीयेश, पंचमेश ग्रहों में से जो सर्वाधिक रूप से बली हो उसी के अनुसार ही उसके कमरे का रंग और पर्दे होने चाहिए।
बच्चों का बिस्तर ज्यादा ऊंचाई पर नहीं होना चाहिए। बिस्तर के उत्तर दिशा की ओर टेबल एवं कुर्सी होनी चाहिए। पढ़ते समय बच्चे का मुंह पूर्व दिशा की ओर और पीठ पश्चिम दिशा की ओर होना शुभ माना जाता है। आग्नेय कोण में कम्प्यूटर रखा जा सकता है। नैऋत्य कोण में बच्चों की पुस्तकों की रैक तथा उनके कपड़ों वाली अलमारी होनी चाहिए।
बच्चों के कमरे में रोशनी की विशेष व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि दिन में पढ़ते समय उन्हें कृत्रिम रोशनी की आवश्यकता ही न हो। बच्चों के कमरे की उत्तर दिशा बिलकुल खाली रखना चाहिए।
बच्चों की पढ़ाई में बेहतर रिजल्ट के लिए घर में मां सरस्वती से जुड़ी 5 चीजों में से कोई एक चीज जरूर रखनी चाहिए। ये चीजें हैं वीणा, हंस की तस्वीर, मोर पंख, कमल का फूल और माता सरस्वती की मूर्ति। भगवान गणेश तथा सरस्वती जी की तस्वीर कमरे के पूर्वी भाग की ओर होना चाहिए।
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