कोरोना संक्रमण का प्रसार होने के बाद मास्क अब लोगों की दैनिक जरूरत बन गया है, ऐसे में वायरस और बैक्टीरिया को मारने वाले मास्क की अधिक खोज रहती है। कई मास्क पानी पड़ने से खराब होने का खतरा बना रहता है तो किसी को बार बार सैनिटाइज करना पड़ता रहता है। सबसे बड़ी समस्या शहर से निकलने वाले यूज्ड मास्क के कचरे के निस्तारण की बन गई है। अब इन सबका हल लोहिया ग्रुप ने आइआइटी के सहयोग से मास्क बनाकर निकाला है।

चेहरे पर ठीक तरह से होता है फिट
लोहिया ग्रुप की कंपनी लोहिया हेल्थ ने आइआइटी कानपुर के टेक्नोपार्क के सहयोग से खास तरह का मास्क तैयार किया है। यह मास्क खुद सैनिटाइज होगा और इसे 100 बार तक धुल भी सकेंगे। मास्क के सिल्वर नैनो पार्टिकल्स वायरस और बैक्टीरिया को बेअसर करेंगे, जिससे कोरोना संक्रमण के खतरे को रोकने में भी प्रभावी मदद मिलेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, सिल्वर केमिकल सॉल्यूशन पर आधारित चार लेयर का यह मास्क कई खूबियों से भरा है। इसकी सिल्वर तकनीक और दूसरे कंपोनेंट किसी भी वायरस और बैक्टीरिया को अपनी ओर आकर्षित कर उन्हें समाप्त कर देंगे। कंपनी का दावा है कि यह सांस लेने में दिक्कत नहीं देगा। साथ ही चेहरे पर भी ठीक ढंग से फिट होगा।
प्रदूषण की भी समस्या नहीं
लोहिया हेल्थ की सीईओ श्रद्धा लोहिया ने बताया कि कंपनी ने यूरोप में इस सिल्वर केमिकल सॉल्यूशन को तैयार कराया है। उस पर वायरस और बैक्टीरिया को लेकर परीक्षण के बाद अब सॉल्यूशन को मास्क के ऊपर लगाया गया है, जो विभिन्न तरह की प्रक्रिया व जांच के बाद ही लगता है। यह शरीर के लिए भी नुकसानदायक नहीं होगा। पुणे की नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलीब्रेशन लेबोरेट्रीज (एनएबीएल) से मास्क की जांच कराई गई, जिसकी रिपोर्ट बहुत ही बेहतर आई है। यह बायोडिग्रेडेबल (जमीन या पानी के संपर्क में आकर स्वत: नष्ट होने वाला) है, जिससे प्रदूषण की समस्या भी नहीं होगी।
यह हैं खूबियां
आइआइटी कानपुर के टेक्नोपार्क के इंचार्ज प्रो.अविनाश अग्रवाल के मुताबिक, यह मास्क पूरी तरह से सुरक्षित है। इससे सांस लेने में आसानी रहती है। मास्क में चार परत लगी हुई है। एक परत मेल्ट ब्लोन फैब्रिक की है। यह पूरी तरह कॉटन से बना है। कंपनी कोरोना योद्धाओं को मास्क दान में दे रही है। नामी ऑनलाइन कंपनियों के माध्यम से इसे खरीदा भी जा सकेगा।
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