यह विडंबना ही तो है। एक ओर देश में कोरोना संक्रमण के मामलों और इसके कारण होने वाली मौतों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ इस वायरस को मात देने के लिए तैयार किया गया टीका सभी तक पहुंचने से पहले बर्बाद होने लगा है। वह भी थोड़ा-बहुत नहीं, बल्कि 6.5 फीसद। आलम यह है कि केंद्र सरकार को राज्यों से वैक्सीन की बर्बादी रोकने और उसके अधिकतम इस्तेमाल के लिए अपील करनी पड़ रही है।
70 जिलों में 150 फीसद से ज्यादा का इजाफा: एक से 15 मार्च के बीच देश के 16 राज्यों के 70 जिलों में कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों में 150 फीसद से ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई। जबकि, 17 राज्यों के 55 जिलों में दैनिक मामलों में 100-150 फीसद की बढ़ोतरी हुई। ये सभी जिले पश्चिम व उत्तरी भारत के हैं। अगर राज्यों की बात करें तो 60 फीसद मामले अकेले महाराष्ट्र में सामने आए, जबकि 45 फीसद मौतें भी इसी राज्य में हुईं।
संक्रमण दर में भी हुई वृद्धि: एक मार्च तक औसतन 7,741 कोरोना के नए मामले सामने आ रहे थे, लेकिन 15 मार्च तक दैनिक मामलों का औसत 13,527 हो गया। यहां तक कि कुल जांच में संक्रमित पाए जाने वालों की दर (पॉजिटिविटी रेट) भी 11 फीसद से बढ़कर 16 फीसद हो गई। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बुधवार को मीडिया को बताया कि जांच की संख्या में वृद्धि न होना और पॉजिटिविटी रेट में इजाफा होना चिंताजनक है। इसलिए, हम राज्यों और खासकर महाराष्ट्र को जांच बढ़ाने की सलाह देते हैं।
मंत्रालय ने दी आरटी-पीसीआर जांच बढ़ाने की सलाह: स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 12 राज्यों में जहां कोरोना संक्रमण के मामले ज्यादा बढ़ रहे हैं उन्हें मास्क पहनने, शारीरिक दूरी रखने व हाथ की साफ-सफाई करते रहने जैसे नियमों का सख्ती से अनुपालन कराने की सलाह दी गई है। कुल जांच में आरटीपीसीआर की भागीदारी 70 फीसद तक करने के लिए भी कहा गया है। संक्रमितों के संपर्क में आने वालों की निगरानी, जांच और आइसोलेशन आदि की प्रक्रिया सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है।
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि ये वैक्सीन समाज के लिए बहुमूल्य हैं। ये लोगों की जान बचा रही हैं, इसलिए इनका अधिकतम उपयोग होना चाहिए। वैक्सीन की बर्बादी पूरी तरह रोकनी होगी। बर्बादी बढ़ने का अर्थ है कि वैक्सीन ज्यादा लोगों तक नहीं पहुंच पाएगी और कोरोना संक्रमण की शृंखला बढ़ती जाएगी।