प्रधानमंत्री ने कहा, एक तरह से देखें तो अमेरिका की कुल जनसंख्या से ढाई गुना अधिक लोगों को, ब्रिटेन की जनसंख्या से 12 गुना अधिक लोगों को और यूरोपीय यूनियन की आबादी से लगभग दोगुने से ज्यादा लोगों को हमारी सरकार ने मुफ्त अनाज दिया है।
उन्होंने कहा, एक और बड़ी बात है जिसने दुनिया को भी हैरान किया है, आश्चर्य में डुबो दिया है। वह यह कि कोरोना से लड़ते हुए भारत में 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को तीन महीने का राशन, यानी परिवार के हर सदस्य को पांच किलो गेहूं या चावल मुफ्त दिया गया।
देश में लॉकडाउन का दौर समाप्त होने के बाद बढ़ती लापरवाही को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा, जब से देश में अनलॉक-1 हुआ है, व्यक्तिगत और सामाजिक व्यवहार में लापरवाही भी बढ़ती ही चली जा रही है।
पहले हम मास्क को लेकर, दो गज की दूरी को लेकर, 20 सेकेंड तक दिन में कई बार हाथ धोने को लेकर बहुत सतर्क थे। हमें उसी सतर्कता के साथ रहने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि ये बात सही है कि अगर कोरोना से होने वाली मृत्यु दर को देखें तो दुनिया के अनेक देशों की तुलना में भारत संभली हुई स्थिति में है। समय पर किए गए लॉकडाउन और अन्य फैसलों ने भारत में लाखों लोगों का जीवन बचाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान देश की सर्वोच्च प्राथमिकता रही कि ऐसी स्थिति न आए कि किसी गरीब के घर में चूल्हा न जले। केंद्र सरकार हो, राज्य सरकारें हों, सिविल सोसायटी के लोग हों, सभी ने पूरा प्रयास किया कि इतने बड़े देश में हमारा कोई गरीब भाई-बहन भूखा न सोए।
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