कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में किसान सड़कों पर रेल ट्रेकों पर जमे हैं। इससे विकट स्थिति पैदा हो गई है। कोयले की आपूर्ति न होने से थर्मल पावर प्लांटों में बिजली उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसके अलावा सीमा पर तैनात जवानों को रसद पहुंचाने में भी दिक्कत आ रहे है। पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल का कहना है कि रेलवे लाइनों पर चल रहे किसान आंदोलन के कारण लद्दाख बॉर्डर पर सैनिकों के पास रसद खत्म हो चुका है। गोला बारूद, पेट्रोल खत्म हो चुका है।

बादल ने कहा कि 20 अक्टूबर से लद्दाख में हां पर बर्फ गिरनी शुरू हो जाएगी| इसके बाद 6 महीने तक वहां कुछ भी नहीं पहुंच सकता। मनप्रीत ने यह भी कहा के थर्मल प्लांटों में केवल 2 दिन का कोयला बचा है। 2 दिन के बाद प्रदेश में बत्ती भी गुल हो सकती है। इसी तरह खाद का स्टॉक खत्म हो चुका है। फसलों की बिजाई भी मुश्किल हो जाएगी। किसान आंदोलन के कारण प्रदेश में चिंताजनक स्थिति पैदा हो गई है।
बता दें, पंजाब में पिछले 17 दिनों से किसान रेल ट्रैक पर डेरा जमाए बैठे हैं। किसानों के आंदोलन का असर अब थर्मल पावर प्लांटों पर पड़ा है। बिजली उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। रेलवे ट्रेकों पर किसानों के जमे होने के कारण मालगाड़ियों का आवाजाही ठप है। इसके कारण सामान इधर से उधर नहीं भेजा जा पा रहा। किसानों के रेल रोको आंदोलन ने सरकारों की चिंता बढ़ा दी है।
इस स्थिति पर नए सिरे से विचार करने के लिए आज 13 किसान संगठनों की बरनाला में मीटिंग होगी। इसमें वामपंथी संगठन शामिल नहीं होंगे। यह बैठक लगातार दो दिन चलेगी। दूसरे दिन वामपंथी संगठनों को साथ लेकर 30 संगठनों की मीटिंग होगी। इसमेंं धान की कटाई और गेहूं की बुवाई को मुख्य रखते हुए नए सिरे से रणनीति तैयार की जाएगी। यही नहीं किसान संगठनों में भी यह सुगबुगाहट होने लगी है कि अब रेलवे ट्रैक को खोल दिया जाए क्योंकि इसका नुकसान अब किसानों को भी होने लगा है। किसानों की दो दिन तक चलने वाली मीटिंग में कई बातें तय होनी निश्चित हैं।
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