वेनेजुएला मामले में अमेरिका और रूस के बीच छिड़ा वाकयुद्ध का सिललिला अभी थमा नहीं है। मंगलवार को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अपने अमेरिकी समकक्ष माइक पोम्पिओ को वेनेजुएला में बल प्रयोग करने वाले किसी भी धमकी और अमेरिकी हस्तक्षेप के खिलाफ सख्त चेतावनी दी थी। रूसी धमकी के बाद अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वेनेजुएला में सैन्य हस्तक्षेप का विकल्प खुला हुआ है। ट्रंप के इस बयान को रूसी विदेश मंत्री के बयान की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने कोलंबिया के राष्ट्रपति इवान डुके के साथ व्हाइट हाउस में चली लंबी बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कही।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा कि अगर वेनेजुएला में मानवीय सहायता को रोका गया तो अमेरिका के पास सैन्य कार्रवई के साथ सारे विकल्प खुले हुए हैं। ट्रंप ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को चेतावनी दी है कि अगर मानवीय सहायता को रोका गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। मादुरो को लताड़ लगाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि मानवीय सहायता की पहुंच में बाधा डालना मानवता के खिलाफ अपराध है।
ट्रंप ने आगे कहा कि तेल समृद्ध लैटिन अमेरिकी राष्ट्र में उथल-पुथल से वह बेहद चिंतित हैं। ट्रंप ने कहा कि वेनेजुएला की अधिकांश आबादी के समक्ष भोजन और चिकित्सा जैसे बुनियादी चीजों का अभाव है। उन्होंने कहा कि वेनेजुएला में लोग भूख से मर रहे हैं। मानवीय सहायता को इनकी सख्त जरूरत है। ट्रंप ने कहा कि मादुरो इस सहायता को रोक कर भयानक गलती कर रहे हैं।
मादुरो ने कहा, हम भिखारी नहीं हैं
दरअसल, ये अमेरिकी मदद कोलंबिया से लगने वाली सीमा से ही लाई जाता है। वेनेज़ुएला की सेना अब तक राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के प्रति वफादार रही है। मादुरो ने यूरोपीय संघ की इस मदद की पेशकश को ये कहते हुए ठुकरा दिया था कि वेनेज़ुएला के लोग भिखारी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वेनेज़ुएला मानवीय मदद के झूठे वादे के झांसे में नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि ‘वेनेज़ुएला काम करेगा, उत्पादन करेगा और अपनी अर्थव्यवस्था को आगे ले जाएगा। हम भिखारी नहीं है।’
क्या होगा वेनेजुएला की सेना का रोल
कोलंबिया की सीमा पर वेनेजुएला की सेना द्वारा अमेरिकी सहायता को रोके जाने के बाद एक बड़ा सवाल यह है कि कराकस की सेना किसके पक्ष में है। वेनेज़ुएला की सेना अब तक राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के प्रति वफादार रही है। वेनेज़ुएला की सेना क्या करेगी, क्या वह राष्ट्रपति निकोलस मादुरो का साथ देती रहेगी या फिर पाला बदलकर विपक्ष के नेता और ख़ुद को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित कर चुके जुआन गुएडो का साथ देगी ? दरअसल,
राष्ट्रपति मादुरो की सेना पर निर्भरता बढ़ रही है। वह सेना और सैन्य प्रमुख को सुविधाएं दे रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि मादुरा अपने देश में राजनेताओं और नागरिक संगठनों का समर्थन लगातार खो रहे हैं। ऐसे में मादुरो के लिए यह जरूरी है कि वह पद पर टिके रहने के लिए सेना का समर्थन लेते रहें।
वेनेजुएला के राजनीतिक संघर्ष में महाशक्तियों का रोल
बता दें कि राष्ट्रपति मादुरो को विपक्षी नेता जुआन गुएडो की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जिन्होंने जनवरी में खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया था। गुएडो ने राष्ट्रपति चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए अपने को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया था। इसके बाद से वेनेजुएला में सत्ता के लिए राजनीतिक संघर्ष जारी है। इस राजनीतिक संघर्ष में यूरोपीय संघ, यूरोपीय और लैटिन अमेरिकी देशों के साथ गुएडो को अमेरिका का समर्थन भी हासिल है।
मादुरो को मिला रूस और चीन का समर्थन
इन मुल्कों द्वारा वेनेजुएला में नए राष्ट्रपति चुनाव का दबाव बनाया जा रहा है। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को अंतरराष्ट्रीय सहायता प्रदान करने और नए राष्ट्रपति चुनावों के लिए एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया है। लेकिन मादुरो ने राष्ट्रपति चुनाव की मांग को खारिज कर दिया है। उधर, राष्ट्रपति मादुराे को रूस और चीन का समर्थन हासिल है। रूस का कहना है कि वेनेजुएला के आंतरिक मामलों में अमेरिका और अन्य मुल्काें को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। रूस और चीन राष्ट्रपति मादुरो का खुलकर समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में वेनेजुएला के मामले को लेकर अमेरिका और रूस आमने-सामने आ गए हैं।