रिटायर व्यक्ति ने अपनी छत पर बनाकर दिखाया,बसाई बोनसाई पेड़ों की दुनिया देख कर हो गये सब हैरान

 बैंक से रिटायर हो चुके एमएस ठाकुर ने अपने घर की छत पर बोनसाई पेड़ों की दुनिया बसा रखी है। इनमें से कुछ ऐसे पेड़ भी हैं, जो आसानी से देखने को नहीं मिलते हैं। इनमें कई 60 से 70 वर्ष की आयु के हैं। इनकी देखभाल ठाकुर साहब बच्चों की तरह करते हैं तथा दूसरों लोगों को भी बोनसाई पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करते हैं। 78 वर्षीय एमएस ठाकुर ने अपनी छत पर अलग-अलग प्रजातियों के छोटे-बड़े पांच सौ बोनसाई पेड़ लगा रखे हैं।

 

नौकरी के कारण नहीं दे पा रहे थे समय

एमएस ठाकुर प्रशांत विहार स्थित महेश्वरी अपार्टमेंट में अकेले रहते हैं। उनकी पत्नी का कई साल पहले स्वर्गवास हो चुका है। एक बेटा है, जो पत्नी और बच्चे के साथ नौकरी के चलते केरला में रहता है। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने बताया कि बोनसाई कला का शौक उन्हें 1978 में लगा था, लेकिन नौकरी के चलते वह इसपर समय नहीं दे पा रहे थे। 2001 में रिटायर होने के बाद वह अपने शौक को पूरा करने में लग गए। तबसे लेकर आजतक वह इस कला से जुड़े हैं।

यह हैं मुख्य प्रजातियां

जंगल वैरायटी, पिलखन, चाइना ओरंज, पारस पीपल, पीलू, क्रेप पेपर, जेड, अानार, ईमली, बढ़, बर्गद, जूरीना समेत कई दुर्ल्भ प्रजातियों के पेड़़ ला रखे हैं।

छह इंच से तीन साढ़े तीन फुट के पेड़

एमएस ठाकुर ने अपनी छत पर छह इंच से लेकर तीन फुट तक ऊंचे बोनसाई के पेड़ लगा रखे हैं। उन्होंने बताया कि बोनसाई की औसतन लंबाई तीस इंच होती है। इसके अलावा कुछ बहुत छोटे होते हैं, जिनकी ऊंचाई छह इंच या आठ इंच होती है। इनको मामे कहा जाता है।

खरीदते समय इन बातों का रखे ध्यान

एमएस ठाकुर ने बताया कि बोनसाई पेड़ खरीदते समय हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे जिस बोनसाई पेेड़ के तने की मोटाई दो अंगूठे के बराबर हो वह सबसे बढ़िया होता है। पेंसिलनुमा तने के बोनसाई पेड़ कभी न खरीदें।

कटिंग से भी बोनसाई होता है तैयार

एमएस ठाकुर ने बताया कि बीज के अलावा कटिंग से बोनसाई पेड़ बनाना दूसरा विकल्प है। कटिंग अर्थात, पेड़ की कटी टहनियों को अलग से मिट्टी में लगा कर नया पेड़ उगा सकते हैं। बीज के बजाए, कटिंग से उगाए गए पेड़ को बढऩे में देरी नहीं लगती है। इस प्रक्रिया में भी पेड़ के विकास के हर पड़ाव में उसको नियंत्रित कर सकते हैं।

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