ISLAMABAD: हफ्तों तक चले कयासों और अटकलों के बाद आखिरकार पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ का जाना पक्का दिख रहा है।
भारत द्वारा हाल ही में की गई सर्जिकल स्ट्राइक ने उनके रिकॉर्ड को खराब तो किया, लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान में उनका कद काफी बड़ा है। उनके रिटायर होने में अब महज एक हफ्ते का समय बचा है और उन्होंने अब उन्होंने अपनी विदाई मुलाकातों में भी शरीक होना शुरू कर दिया है।
पाकिस्तानी सेना का मीडिया विंग, जो कि ISI के जनसंपर्क विभाग को भी संभालता है, ने सोमवार को बताया कि जनरल शरीफ ने लाहौर की सैन्य छावनी से अपनी विदाई यात्रा शुरू की। यहां उन्होंने सेना और रेंजर्स को संबोधित किया। माना जा रहा है कि अब वह जल्द ही कराची और पेशावार भी जाएंगे। सरकार और सैन्य सूत्रों के मुताबिक, अगले सेना प्रमुख का नाम भी तय किया जा चुका है और इसके लिए राहिल शरीफ से भी सलाह ली गई है, लेकिन इसकी घोषणा 29 नवंबर को जनरल शरीफ के रिटायरमेंट के समय ही की जाएगी। कयास लगाया जा रहा था कि राहिल शरीफ का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि जनरल शरीफ को पाक सेना का प्रमुख रहने दिया जाए।
जनरल राहिल शरीफ भारत के सख्त विरोधी माने जाते थे। जनरल शरीफ ने 29 नवंबर 2013 को पाकिस्तानी सेना के प्रमुख (चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ) का पद संभाला था। वह देश के 15वें सैन्य प्रमुख थे। पाकिस्तान में यह पद प्रधानमंत्री से भी ज्यादा ताकतवर माना जाता है। 29 नवंबर को अपनी रिटायरमेंट के साथ ही पिछले 2 दशक के दौरान नियत समय पर रिटायर होने वाले वह पहले सेना प्रमुख होंगे। उनसे पहले पाकिस्तानी सेना के प्रमुख रहे जनरल अशफाक परवेज कयानी और जनरल परवेज मुशर्रफ, दोनों का ही कार्यकाल बढ़ाया गया था। वहीं, 1990 के दशक में जब नवाज शरीफ दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल जहांगीर करामात को कार्यकाल पूरा होने से पहले से घर भेज दिया गया था।
नियमों के मुताबिक, सेना प्रमुख को नियुक्त करने और उनका कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार प्रधानमंत्री के पास होता है। वर्तमान सेना प्रमुख की सलाह लेकर रक्षा मंत्रालय सबसे वरिष्ठ 3 जनरल्स के नाम प्रधानमंत्री के पास भेजता है और उनमें से एक को नया सैन्य प्रमुख नियुक्त किया जाता है। हालांकि इस बार अभी तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं की गई है। सेना प्रमुख की नियुक्ति में वरिष्ठता काफी अहम होती है, लेकिन फैसला प्रधानमंत्री को लेना होता है। जब राहिल शरीफ को सैन्य प्रमुख बनाया गया था, तब उनसे वरिष्ठ 2 जनरल्स को निलंबित कर दिया गया। नवाज शरीफ जब पहली बार प्रधानमंत्री बने, तब उन्होंने आसिफ नवाज जुनेजा को सेना प्रमुख बनाया। जुनेजा वरिष्ठता के क्रम में चौथे नंबर पर थे। इसके बाद नवाज शरीफ ने परवेज मुशर्रफ को सैन्य प्रमुख बनाया, जो कि वरिष्ठता में तीसरे नंबर पर आते थए। बाद में उन्हीं मुशर्रफ ने नवाज का तख्ता पलट कर दिया था और खुद देश के सैन्य शासक बन बैठे।