राम मंदिर पर लालजी टंडन ने कहा-जहां से न्याय मिलना था, वहीं अवरोध खड़ा हो गया

 लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी की राजनीतिक विरासत संभालने वाले बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन सक्रिय राजनीति से अलग होकर संवैधानिक पद पर हैं। इसके बाद भी उनका मंदिर प्रेम जग-जाहिर है। अयोध्या में राम मंदिर को लेकर लालजी टंडन ने बड़ा बयान दिया है।

बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने कल पटना में एक टीवी के कार्यक्रम में अयोध्या में राम मंदिर को लेकर कहा कि जहां से न्याय मिलना था, वहीं अवरोध खड़ा हो गया। अयोध्या में राम मंदिर मुद्दे पर बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जिसमें एक सुनवाई में फैसला किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहां न्याय व्यवस्था को दुनिया भर में सम्मान की नजर से देखा जाता है। अयोध्या मामले पर 150 से करोड़ लोग लड़ रहे हैं। हम इसके साक्षी हैं. इस मामले में समाधान की कोशिश की गई, लेकिन न्याय पालिका में मामला होने के चलते मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। न्याय जहां से मिलना चाहिए, वहां से अवरोध खड़ा हो गया।

उन्होंने कहा कि कोई समस्या है ही नहीं, एक सुनवाई में ही इसका फैसला हो सकता है। मामला न्यायपालिका की प्राथमिकताओं में नहीं है, पर किसी ने टिप्पणी की थी कि अगर दशकों से सौ करोड़ लोगों के संघर्ष और बलिदान जो देश की सुरक्षा से जुड़ा है, वो कोर्ट की प्राथमिकता में नहीं है, इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है।

टंडन ने कहा कि प्रयाग (इलाहाबाद का नया नाम) एक प्राकृतिक नाम है, यह किसी व्यक्ति पर आधारित नहीं है। टंडन ने कहा कि प्रयाग की जहां तक बात है। यह प्राकृतिक नाम है। किसी व्यक्ति से संबंधित नहीं है। अभी भी जो संगम क्षेत्र में रेलवे स्टेशन का नाम प्रयाग है। यह आज से नहीं बहुत दिनों से है। यह नया नाम नहीं है। प्रयाग से आशय उस जगह से है जहां, एक से ज्यादा नदियों का संगम होता है। उत्तराखंड में तो पंच प्रयाग हैं।

उन्होंने अपनी किताब- अनकहा लखनऊ और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के साथ अपनी यादों को भी साझा किया। लालजी टंडन ने कहा कि लखनऊ को बसाने का काम लक्ष्मण ने किया था। इसका किसी इतिहासकार ने खंडन नहीं किया है। इससे पहले इसे लक्ष्मणपुर और लक्ष्मणावती के नाम से जाना जाता था। बाद में इसे लखनपुर भी कहा गया। अंग्रेजी भाषा में वह लखनऊ हो गया। उन्होंने कहा कि लखनऊ केवल लखनपुर या लक्ष्मणपुर का अपभ्रंश है।

टंडन ने कहा कि एक कहानी यह भी है कि जब अंग्रेजों ने लखनऊ पर कब्जा कर लिया तो नाचते हुए कहा कि ‘लक नाउ’ यानी आज हमारा भाग्य जग गया और (Luck Now) ही बाद में लखनऊ बन गया। लालजी टंडन ने कहा कि कुछ लोग अपने लाभ या हानि के हिसाब से इतिहास में मिलावट करते हैं। लखनऊ को लेकर बड़ा भारी भ्रम पैदा हो गया और लखनऊ की ऐसी शक्ल बनाकर पेश कर दी कि यह नवाब और कबाब दो शब्दों में सिमट कर रह गया। नवाबों को भी मुगलकाल में अवध का सूबेदार बनाया गया था। उन्होंने कहा कि लखनऊ भी देश का हिस्सा है, उसकी संस्कृति देश से अलग नहीं है।

उन्होंने इस दौरान समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया का भी जिक्र किया और उनके साथ अपनी यादें भी साझा की। उन्होंने बताया कि पहले हरिद्वार जिला नहीं हुआ करता था, जिला सहारनपुर होता था। सारी दुनिया वहां हरिद्वार के नाम से स्नान करने आती थी। ऐसे ही फैजाबाद को कौन जानता है। अयोध्या को सारी दुनिया जानती है। उन्होंने कहा कि चाहे हम किसी भी दल में हों हमारी सांस्कृतिक सोच के हिसाब से हमारे मन में हमेशा से यह भाव हमेशा आते हैं। 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com