अयोध्या प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने रामकटोरी की मिठास बढ़ा दी है। यह वह मिठाई है, जो राममंदिर आंदोलन के दौरान पैदा हुई थी। इसे तैयार किया सिद्धार्थनगर के बर्डपुर कस्बे के विनोद मोदनवाल ने। कोर्ट का फैसला आने के बाद वह खुश हैं। उनका कहना है कि इससे सौहार्द की डोर और मजबूत होगी।

राम मंदिर आंदोलन के दौरान 2 नवंबर 1990 को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर बस्ती जेल भेजा था। 28 दिन बाद वहां से छूटे तो घर पर एक मिठाई तैयार की और इसे नाम दिया रामकटोरी। इसे उन्होंने प्रसाद के रूप में बांटा। और फिर 1992 में यह मिठाई चर्चा का विषय बन गई।
खोवा, मलाई व घी के मिश्रण से तैयार होने वाली यह मिठाई कटोरी के आकार की होती है। हल्के मीठे स्वाद वाली इस मिठाई को मुंबई, अहमदाबाद, सूरत व दिल्ली में रहने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग साथ ले जाते हैं। सऊदी अरब, दुबई व शारजाह जाने वाले लोग वहां रहने वाले परिवारीजन व मित्रों को भेंट के लिए यह मिठाई ले जाते हैं। रामकटोरी का निर्माण मंदिर आंदोलन के दौरान हुआ और अब यह लोगों में सांप्रदायिक सौहार्द की मिठास घोल रही है।
यह मिठाई वर्ग विशेष की नहीं रह गई है और इसे हर वर्ग खासकर मुस्लिम समुदाय भी बड़े चाव से खरीदता है। विनोद कहते हैं कि रामकटोरी के नामकरण में मुस्लिम समुदाय का भी योगदान अहम हैं। उनका कहना है कि उनकी दुकान पर आने वाले 60 फीसद ग्राहक मुस्लिम होते हैं। फैसला आने के बाद उन्होंने तमाम मुस्लिम ग्राहकों को रामकटोरी खिलाकर मुंह मीठा कराया।
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