एग्जिट पोल की मानें, तो तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री बनने की दहलीज पर हैं. 31 साल के तेजस्वी राजनीति के मैदान पर अपने जलवे दिखाने से पहले क्रिकेट के मैदान पर जोर आजमाइश करते देखे गए थे. दरअसल, राजनीति के मैदान का खिलाड़ी बनने से पहले तेजस्वी यादव क्रिकेट के मैदान के खिलाड़ी रह चुके हैं.

दिल्ली पब्लिक स्कूल मथुरा रोड में पढ़ने के दौरान लंबे बालों वाले तेजस्वी बाकी बच्चों से कुछ अलग दिखते थे. माना जा रहा था कि तेजस्वी क्रिकेट में कुछ कर जाएंगे, लेकिन उनकी यह चाहत अधूरी रही. तेजस्वी क्लास 9 तक ही पढ़े.
आईपीएल (IPL) की बात करें, तो तेजस्वी यादव चार सीजन (2008-12) तक दिल्ली डेयर डेविल्स स्क्वॉड में रहे, लेकिन उन्हें कभी भी टीम की प्लेइंग इलेवन में मौका नहीं मिला. मध्य क्रम के बल्लेबाजी के अलावा वह गेंदबाजी में स्विंग कराने की क्षमता रखते थे.
आईपीएल में तत्कालीन दिल्ली डेयरडेविल्स टीम की तरफ से न खेल पाने के सवाल पर पिता लालू प्रसाद ने एक बार कहा था कि कम से कम उनके बेटे को खिलाड़ियों को पानी पिलाने का मौका तो मिला.
तेजस्वी एक प्रथम श्रेणी (फर्स्ट क्लास) मैच खेलने में कामयाब रहे. उन्हें यह मौका झारखंड टीम में 2009 में मिला, जब वह रांची में रणजी ट्रॉफी प्लेट लीग में विदर्भ के खिलाफ खेलने उतरे थे. लेकिन वह अपनी डेब्यू पारी में सिर्फ 1 रन बना पाए और एलबीडब्ल्यू हो गए. गेंदबाजी करते हुए विदर्भ की पहली पारी में उन्होंने 5 ओवरों में 17 रन दिए, पर विकेट नहीं मिला. दूसरी पारी में तेजस्वी ने 19 रन बनाए.
इसके अलावा तेजस्वी ने दो लिस्ट-ए मैच (घरेलू वनडे) और चार टी-20 मैच खेले हैं. दरअसल, तेजस्वी का क्रिकेट करियर कभी भी उस ऊंचाई को नहीं छू पाया, जिसकी उम्मीद लगाई जी रही थी. प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनका उच्च स्कोर 19, लिस्ट ए में 9 और टी20 में 3 रन रहा. सफलता के नाम पर उनके खाते में एक विकेट जरूर आया, जिसे उन्होंने लिस्ट ए क्रिकेट में हासिल किया.
2010 में आईपीएल खिलाड़ी के तौर पर अनुबंधित होने के बावजूद तेजस्वी ने बिहार विधानसभा चुनाव में अपने पिता के लिए चुनाव प्रचार शुरू किया. यह स्पष्ट था कि लालू अपने बेटे को राजनीति में लाना चाह रहे थे.
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