मालदीव सरकार ने राजनीतिक संकट के दौर में चीन, पाकिस्तान जैसे कई देशों में राष्ट्रपति के विशेष दूत भेजे जाने को लेकर हो रही आलोचना के बाद इस मामले में सफाई दी है. मालदीव सरकार ने कहा है कि सबसे पहले वहां के राष्ट्रपति के विशेष दूत को भारत भेजे जाने की योजना थी, लेकिन भारतीय नेतृत्व के व्यस्त रहने की वजह से यह संभव नहीं हो पाया.गौरतलब है कि मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन वहां जारी संकट और इमरजेंसी के हालात के बारे में जानकारी देने के लिए अपने विशेष दूत चीन, पाकिस्तान और सऊदी अरब में भेज रहे हैं. राष्ट्रपति ने मालदीव के आर्थिक विकास मंत्री मोहम्मद सईद को चीन भेजा और विदेश मंत्री मोहम्मद असीम को पाकिस्तान भेजा है. मत्स्यपालन और कृषि मंत्री मोहम्मद शाइनी को सऊदी अरबभेजा गया है.
भारत में मालदीव के दूत अहमद मोहम्मद ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, ‘मालदीव के राष्ट्रपति के विशेष दूत की प्रस्तावित यात्रा का सबसे पहला पड़ाव वास्तव में भारत तय किया गया था, लेकिन इन तिथियों पर भारतीय नेतृत्व से मिलना संभव नहीं था. हम इस बात को समझ सकते हैं. विदेश मंत्री देश से बाहर हैं और प्रधानमंत्री इस हफ्ते यूएई के दौरे पर जा रहे हैं.’
साल 2012 में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से मोहम्मद नशीद के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से ही यह द्वीप देश कई बार राजनीतिक संकट का सामना कर चुका है. मालदीव में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए वहां के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने आपातकाल लागू कर दिया है. इस सियासी संकट के बीच राष्ट्रपति यामीन की तानाशाही के खिलाफ मालदीव के विपक्षी खेमों और सुप्रीम कोर्ट ने भारत से मदद की गुहार लगाई है. भारत ने वहां के हालात पर चिंता जताई है और इस पर गहरी नजर बनाए हुए है.