झारखंड की राजधानी रांची में अपेक्षाकृत कम गर्मी पड़ती है। इस पर अगर कुदरत मेहरबान है तो यहां आप समृद्ध लोक-संस्कृति के लुभावने रंग भी देख सकते हैं। यह शहर जितना अनूठा है, उतनी ही मस्त है इसकी चाल।
जो यहां एक बार आ गया, यहीं का होकर रह जाता है। बारिश के इस मौसम में पतरातू डैम का सौंदर्य भी और निखर गया है। तो अगर आप यहां किसी काम से आए हैं या आने का प्लान बना रहे हैं तो यहां के झरनों के सौंदर्य को देखना बिल्कुल न मिस करें।
रांची की खूबसूरती में चार चांद लगाते झरने
दशम जलप्रपात: यह रांची से लगभग 50 किलोमीटर दूर रांची जमशेदपुर मार्ग पर स्थित है। यहां कांची नदी 144 फीट की ऊंचाई से गिरती है। कभी इसमें दस धाराएं थीं, जिसके कारण इसे दशम कहा गया।
जोन्हा जलप्रपात: शहर से इसकी दूरी करीब 40 किलोमीटर है। यहां बुद्ध का मंदिर भी है, जिसे बिड़ला परिवार ने बनवाया है। बांग्ला के मशहूर कवि सुकांत भट्टाचार्य ने भी जोन्हा की खूबसूरती के बारे में लिखा है। यहां आने पर आप इस जलप्रपात की खूबसूरती निहारने भी जरूर आएं।
हुंडरू जलप्रपात: यह रांची से लगभग 49 किलोमीटर दूर है। यहां गेस्ट हाउस भी बना हुआ है। स्वर्णरेखा नदी यहां 20 फीट की ऊंचाई से गिरती है।
सीता जलप्रपात: शहर से इसकी दूरी करीब 45 किमी. है। 50 फीट की ऊंचाई से यह प्रपात गिरता है। 50 सीढिय़ां उतर कर प्रपात के पास पहुंचा जा सकता है।
हिरनी: हिरनी जलप्रपात करीब 70 किमी. दूर है। यहां 120 फीट की ऊंचाई से जल गिरता है। यह रांची-चक्रधरपुर मार्ग पर स्थित है।
पंचघाघ: रांची से पंचघाघ की दूरी 40 किमी. और खूंटी जिले से पांच किमी. की दूरी है। यह स्वर्णरेखा नदी पर स्थित है।