न्यूज चैनलों पर रोती-बिलखती पीड़िता और उसके पिता की मौत से पहले शरीर पर जख्मों वाली तस्वीरें योगी सरकार के सारे एनकाउंटर पर भारी पड़ रही हैं।
एक विधायक को बचाने की इतनी भारी कीमत सरकार को चुकानी पडे़गी, इसकी कल्पना शायद खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी नहीं की होगी।
पिछले एक साल से मुख्यमंत्री से लेकर अफसर तक पुलिस में सुधार और अपराधियों पर कार्रवाई को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहे थे, लेकिन रेप के आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ्तार करने में पुलिस के बंधे हाथ ने एक झटके में सारे किए धरे पर पानी फेर दिया।
ताबड़तोड़ 1400 से ज्यादा अपराधियों के एनकाउंटर और 7000 से अधिक अपराधियों को सरेंडर कराने वाली पुलिस दुष्कर्म के आरोपी विधायक के आगे सरेंडर नजर आई।
सेंगर बुधवार रात लखनऊ एसएसपी के आवास पर पहुंचकर यह साबित करने में भी पीछे नहीं रहे कि उनका बाल भी बांका नहीं हो सकता।
चंद घंटों बाद प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार और डीजीपी ओपी सिंह भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधायक के आगे नतमस्तक दिखे। ‘माननीय’ विधायक के सम्मान में कोई कमी न रह जाए, इसका खास ख्याल रखा जा रहा था।
लेकिन जांच सीबीआई के हाथ में पहुंची तो डीजीपी के गुण-दोष को नजर अंदाज करते हुए उसने तफ्तीश की शुरुआत ही सेंगर को हिरासत में लेने से की।
जिस विधायक के खिलाफ पुलिस सुबूत जुटाने की बात कर रही थी और मुकदमा दर्ज करने से कतरा रही थी, वही विधायक जब सीबीआई के रडार पर आया तो चंद घंटे में पूरी पटकथा बदल गई।
सीबीआई की इस कार्रवाई ने भी पुलिस को कठघरे में खड़ा कर दिया है। पुलिस अफसर भी दबी जुबान में कुबूल कर रहे हैं कि विधायक को गिरफ्तार न करने से पुलिस की छवि को गहरा धक्का लगा है।