प्रदेश में विद्यालयों की ड्रेस को लेकर प्रत्येक वर्ष असमंजस की स्थिति बनी रहती है। इसी वजह से स्कूलों में ड्रेस लेटलतीफी से पहुंचती है। बच्चों की ड्रेस कमीशन खोरों के चक्कर में न आये, इसके लिए शासन अब नई शुरुवात करने जा रहा है। आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों को ड्रेस तैयार करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसका उद्देश्य महिलाओं को रोजगार देते हुए सशक्त बनाना है साथ ही ड्रेस को गुणवत्तायुक्त बनाना है। अगले वित्तीय वर्ष से इसकी शुरुआत करने के लिए कार्य योजना बनाई जा रही है।
शिक्षा विभाग द्वारा 2278 परिषदीय स्कूलों के 1 लाख 49 हजार 912 नामांकित छात्रों को चालू वित्तीय वर्ष में ड्रेस वितरित की गई है। जिसमें 5 करोड़ 49 लाख 64 हजार 400 रुपये व्यय होने का अनुमान है। ऐसे में समूहों को ड्रेस सिलाई का जिम्मा मिलने पर समूहों को काफी फायदा होगा। शासन के निर्देश पर उपायुक्त स्वत: रोजगार ने सभी एडीओ आइएसबी को समूहों को जल्द से जल्द गठन करने के निर्देश दिए हैं।
राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित स्वयं सहायता समूहों को स्वरोजगार के लिए बैंकों से लगभग 15 हजार रुपये का रिवाल्विंग फंड भी दिया जाता है, जिससे की ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं स्वयं कमाई कर स्वावलंबी बन सकें। समूहों को और सशक्त व रोजगार देने के लिए शासन ने अगले वित्तीय वर्ष से बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय स्कूलों में बच्चों को मिलने वाली ड्रेस की सिलाई का जिम्मा देने का फैसला लिया है।